Book Title: Panch Pratikramana Sarth
Author(s): Gokaldas Mangaldas Shah
Publisher: Shah Gokaldas Mangaldas

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Page 426
________________ ४०४ ॥ ५२ सवारना पडिलेहण, विधि ॥ इच्छामि खमासमणो, वंदिउं जावणिज्जाए निसिहियाए मत्थएण वंदामि. इच्छाकारेण संदिस्सह भगवन् , पडिलेहणं संदिसाएमि ? बीजा खमासमणे पडिलेहणं करेमि ? इच्छं कही मुहपत्ति, चरवलो, कटासणुं पडिलेहि, खमासमण दइ, इच्छाकारेण संदिस्लह भगवन् , अंगपडिलेहणं संदिसाएमि? बीजे खमासमणे अंगपडिलेहणं करेमि ? एम कही पेहेरवानुं वस्त्र, तथा सुतरनो कंदोरो, उतरासण पडिलेहि; पछी खमासमण दइ, इच्छाकारेण संदिस्सह भगवन् पडिलेहणा पडिलेहावो ? एम कही स्थापनाचायेनी वेयावञ्च करीये, स्थापना न होय तो वडीलनुं एक कपड़े पडिलेहो पछी खमासमण दइ इच्छाकारेण संदिस्सह भगवन् उपधि पडिलेहणं संदिसाएमि? बीजे खमासमणे उपधि पडिलेहणं करेमि ? एम कही बाकी रहेला सर्व उपकरण (वस्त्र) पडिलेहिये, पछी खमासमण देइ, इच्छाकारेण संदिस्सह भगवन् , पोसहसालं पमज्जेमि; एम कही उपाश्रय पुंजी, जयणाथी काजो उद्धरीने शुद्ध भुमिकामां परठवतां अणुजाणह जस्सवग्गहो कही, काजो परठववो, पछी घोसिरे वोसिरे त्रण वखत कहेवू. पछी गुरु स्थापनाजी पासे आवीने खमासमण दइ इरियावहि पडिक्कमि, एक लोगस्सनो काउस्सग्ग करी, प्रगट लोगस्स कही खमासमण दइने, इच्छाकारेण० बेसणे संदिसाएमि, बीजे खमासमणे बेसणे ठाएमि, इच्छामि० इच्छा० सज्झायं संदिसारमि? बीजे खमासमणे सज्झायं करेमि, एम नवकार कही अरहंदेवीनी सज्झाय कहेवी ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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