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भावार्थ-मनद्वारा जे जे पाप बांध्यु होय, वचन वडे जे जे पाप फयु होय अने कायाए जे जे अशुभ कयु होय, ते बधुं पाप मारे फोगट थाओ. ३
सव्वे जीवा कम्मवस, चऊदहरज्जभमंत । ते में सव्वखमाविया, मुज्झवि तेह खमंत ॥४॥
शब्दार्थ:सवे-बधां जीवा-जीवो कम्मवस-कर्म आधीन रज्ज-राजलोकमां भमंत-भमे छे ते-तेओने
खमाविया-खमाव्या छे मुज्झ-मने वि-पण तेह-ते बधां खमंत-क्षमा करो
मावार्थ-पोतपोताना शुभाशुभ कर्मने आधीन थयेला बर्षा जीवो चौद राजलोकमां फरे छे, ते तमाम जीवोने में त्रिकरणयोगे खमाव्या छे अने तेज प्रमाणे तेभो पण मने क्षमा करे. ४.
खम्यो खमाव्यो में खम्यो, छबिहजीवनिकाय । सिद्ध साख आलोयणा, ते मुज वैर न भाव ॥५॥
शब्दार्थछबिह-छ प्रकारना निकाय-समूहने साख-साक्षीए आलोयणा-आलोचना करी
भावार्थ-छ प्रकारना जीव समुदायने में क्षमा करी छे अने करावी छे. तेओ पण मने क्षमा करो, हुं सिद्ध भगवाननी साक्षीए आलोचना करुं बुं के मारे तेओ पर द्वेषभाव नथी, ५
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