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भावार्थ:-कोइ पण प्राणी ज्यासुधी सामायिक व्रत ग्रहणं करी मनमां नियम सहित एटले स्थिर चित्ते रहे त्या संधी तथा जेटली बार सामायिक करे तेटली वार अशुभ कर्मनो नाश करे छे अर्थात् सामायिकथी ज अशुभ कर्मनो नाश थइ शके छे. ते विषे कह्यु छ केमू०-सामाइअम्मि उकए, समणो इव सावओ हवइ जम्हा। एएण कारणेणं, बहुसो सामाइअं कुज्जा ॥२॥
शब्दार्थ:सामाइअंमि-सामायिक जम्हा-जेथी उ-वळी
एएण-ए कए-करती बखते समणो इव-साधु जेवो
कारणेणं-कारणथी सावओ-श्रावक
बहुसो-घणीवार हवइ-होय छे
। कुज्जा --करवं जोइए
___ मावार्थ:-जेथी करीने श्रावक सामायिक व्रत करे त्यारे साधु जेवो होय छे, तेथी करीने घणीवार सामायिक करवू योग्य छे. २.
सामायिक विधिए लीg, विधिए पार्यु, विधि करतां जे कोइ अविधि आशातना हुइ होय, तस्स मिच्छामि दुक्कड. दश मनना, दश वचनना, बार कायाना, एवं कारे बत्रीश दुषणमां जे कोइ दूषण लाग्यु होय तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥
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