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तथा टीटोई गाममा रहेला है श्री *मुहरिपार्श्वनाथ ! तमे जय पामो. आ पांचे जिनेश्वरो दुःख अने पापनो नाश करनार छे. तथा. पांचे महाविदेहने विषे रहेला जे तीर्थकरो छे, तथा चार दिशा अने चार विदिशामां जे कोइ अतीतकाळ, अनागतकाळ, अने वर्तमानकाळ संबंधी तीर्थंकरो छे, ते सर्वने पण हुं वंदना करूं छं. ते सर्वे दुःख अने पापनो नाश करनार छे ३.
हवे त्रण लोकमां रहेला चैत्योने वांदे छे.मू०-सत्ताणवइ सहस्सा, लक्खा छप्पन्न अट्ट कोडीओ। बत्तिसय बासिआइं, तिअलोए चेइए वंदे ॥४॥
शब्दार्थसत्ताणवइ-सत्ताणु
बासिआइं-व्याशी सहस्सा-हजार
तिअलोए-त्रण लोकने विषे लख्खा . छप्पन्न-छप्पन लाख अट्ठकोडिओ-आठ करोड चेइए-चैत्योने बत्तीसय-बत्रीस सो
वंदे-वांदं छं. भावार्थ:-स्वर्गलोक, तिरछो लोक अने पाताळलोक, ए त्रणे लोकमां कुल आठ करोड़ छप्पन लाख सताणुं हज़ार बत्रीश सो अने व्याशी. ( ८५७०९२८२ ) चैत्यो छे, तेमने हुं वांदं छु. ४. .. ते गामन्त्रो राजा एक मुहरि एटले एक महोर लइने दर्शन करवा देतो तेनुं नाम मुहरिपार्थनाथ कहेवाय छे. ..
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