Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ निघण्टुशेषटीकान्तर्गताः संस्कृतशब्दयुता लोकभाषाशब्दाः। . 313 'जवासी-नाकुली अक्षिपीडा नेत्रपीडा विसर्पणी [वेत्रमूला विसर्पिणी पु० नि०] 276 शशिनी दृढपादा [शङ्खनी वृद्धपादा नि०]यवतिक्ता यशस्करी [यशीश्वरा पु० आयसीश्वरा नि०] / 'तेजवती-तेजस्विनी पारिजाता शीता अश्वघ्नी [पीता अश्वघ्ना पु० नि०] महौजसी 277 तेजोवती तेजनी [ तेजिनी पु० नि०] तेजोह्वा वल्कला। ब्रोहाली-मिस्रया तालपर्णी [मिश्रेया तालपत्री पु.] छत्र शीतशिव मिसि [मिशि पु.] 278 शालेय मधुरिका शालीन तालकर्णी [तालपर्णी पु.] / तालीसपत्र-पथिका तुलसी तालपत्री लवङ्गक 279 कन्दपत्री त्वच [कन्दपत्रा पु० कन्द पत्रत्वच नि० पत्री [पत्रा पु० नि.] तलपत्रक [अमलपत्रक नि०] उन्दुरा [उत्तरा पु. नि०]। छड-मांसी--मांसी पेशी [ यशी नि० ] कृष्णजटा नलदा जटिला जटा 280 तपस्विनी आमिषी हिंस्रा ऋव्यादी पिशिता / कृष्णमांसी-गन्धमांसी केशी भूतकेशी पिशाचिका 281 सुलोमशा भूतजटा पूतना [भूतना नि० ] केशिका / एकांगी-मुरा सुरभि दैत्या गन्धाढ्या गन्धमादनी 282 भूरिगन्धा गन्धवती कुटी गन्धकुटी [गन्धकटी नि. ] / "पद्म-प्रपुण्डरीक पौण्डर्य [ शौण्डर्य नि० ] सानुज पौण्डरीयक 283 प्रपौण्डरीक चक्षुष्य सत्पुष्प सानुमानक। जन्तुवार-जतूका जतुवा जतुकृत् चक्रवर्तनी [ चक्रवर्तिनी पु० नि० ] 284 जन्तुका जतु कारी संस्पर्शा [ संहर्षा पु० सहर्षा नि० ] जननी जनी। "रोहा-मांसरोहा विकसा वृन्ता [ वृत्ता पु० नि० ] चर्मकशा [ चर्मकसा पु० ] रुहा 285 'खयरी--रक्तपादी नमस्कारी समाङ्गा [ समझा पु० नि० ] अञ्जलिकारिका [ जलकारिका पु.] गण्डकाली शमीपत्रा रास्ना खदिरिका 286 / हंसपदी--त्रिपादी सुपादी हंसपादिका विषग्रन्थि हंसपदी घृतमण्डलक [ घृतमण्डलिक पु. घृतमण्डलिका नि० ] 287 / / "जलपीपली--जलपिप्पली [ जलपिष्पली पु०] शारदो शकुलादनी मत्स्यादनी मत्स्यगन्धा लाडली तोयपिप्पली [ तोयपिष्पली पु० अम्बुपिप्पली टी० ] 288 / "बूअ--शिवमल्ली पाशुपत सुव्रत वसुक बुक [ दक पु० वेक टी० ] कुलपुष्प किण्वमल पाण्डु राङ्ग प्रिय [ पाण्डुरोगप्रिय नि० ] कुल 289 / 'अतिविसु--अतिविषा विश्वा भगुरा श्वेतकन्दिका उपविषा श्यामकन्दा शृङ्गो प्रतिविषा विषा [ अरुणा नि० ] 290 / 1 (1) जवासो (2) अरवासो // 2. तेजबळ // 3. वरियाळी / / 4. (1) बर्मी (2) तालीसपत्र // 5. रतनपुरुष'नामकमिदं अंकलेश्वरप्रदेशे लभ्यते, केचिदेनं 'स्थलपद्म' इति मन्यन्ते / / 6. लाख // 7. रोहिडा' नामकः सुगन्धिस्तृणविशेषः सम्भाव्यते // 8. खेर // 9. हंसराज / 10. रतवेलीयो / / 11. 'मोगरो'नामकवनस्पतिभेदविशेषः सम्भाव्यते / / 12. अतिवख / 40

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