Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 377
________________ .340 पञ्चमं परिशिष्टम् / लश्कादि पृष्ठम् प्रलोकादि धन्व० 1-93 प० 24] 109 बकुलः शीधुगन्धश्च बृहत्खर्जूरिका श्रेणी [धन्व० 5-154 प० 202] 6 मदनपाल बदरः कोलीकास्योः ब्रह्मपर्णीति विख्याता [विश्वलोचने रान्तवर्ग 188 86 . 111 बदरी गोपघण्टा च ब्राह्मी सरस्वती सोमा चन्द्रः ] 41 / / बदरी स्निग्धपत्रा च भद्रेला वृहदेला च बला भद्रादनी वाटी [धन्व०२ - 46 प० 78] धन्व० 1-280 प. 64] 143 भल्लातकः स्मृतोऽरुष्को बग भद्रौदनी हृद्या . धन्व० 3-143 प० 123] 75 [चन्द्रनन्दन ] 143 / भस्मक भस्मलग्ने स्याद् बलिकाऽतिबला झेया [विश्वलोचने कान्तवर्गे 129] 95 धिन्व० 1-286 प. 65] 144 भार्गी गर्दभशाकश्च बाकुची सोमराजी च . [धन्व० 1-68 प० 20] 150 धिन्व० 1-165 प० 38] 121 भूपदी शीतभीरुश्च / बिभीतकः कर्षफलो [अमर० का० 2 वर्ग 4-70] 133 धन्व० 1-212 प० 50] 7 भूर्जे चर्मिमृदुत्वचौ - [भमर० का० 2 वर्ग 4-16] 66 बिम्बी रक्तफला तुण्डी [धन्व० 1-202 प० 48 197. भूर्जे भुजो बहुपुटो बिल्वः शलाटुः शाण्डिल्यो भस्तृणो रौहिषो भुरिः धन्व० 1-106 प० 26] 46 [धन्व. 4-47 प० 143] 199 बिसं मृणालं बिसिनी भृङ्गराजो भृङ्गरजो [धन्व. 4-161 प. 167] 180 [धन्व० 4-11 50 136] 188 बीजकस्त्वसनः काम्यः मकुष्ठको मयुष्ठः स्याबीजकोशे सरोजस्य ] 212 [शाश्वत० श्लो० 180] 179 मजिष्ठा कालमेषी च बीजपूर्णोऽपरः प्रोक्तो [धन्व०१-१७ प० 10] 164 धन्व. 5-31 प० 174] मदनः शल्यको राठः बुकं बिल्वं सधुत्तरं [धन्व० 1-168 50 39] 71 [ ] 157 / मधुपर्णी दाहहरा बुको वसुक इत्युक्तः ] 173 . [धन्व० 4 19 प० 138] 158 मधुयष्टी च यष्टी च वृहती सिंह्यनाक्रान्ता [धन्व० 1-142 प० 33] 106 म

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