Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 401
________________ 364 अष्टमं परिशिष्टम् / निघण्टुशेषटीका धन्वन्तरीयनिघण्टु महाश्रावण्यथाऽन्या तु लोचनीया तथाऽपरा। महाश्रावणिका मुण्डी लोभनीया तथाऽन्यथा कदम्बपुष्पिका चोक्ता छिन्नग्रन्थनिका च सा // कदम्बपुष्पिका प्रोक्ता छिन्नग्रन्थिनिका च सा॥ पत्र. 120 वर्ग 1 श्लो० 160 पत्र. 37 बाकुची सोमराजी च सोमवल्ली सुवल्लयपि / बाकुची सोमराजी तु सोमवल्ली सुवल्लयपि / अवल्गुजः कृष्णफली सैव पूतिफली मता // अवल्गुजा कृष्ण फला सैव पूतिफला मता॥ चन्द्र लेखेन्दुलेखा च शशिलेखा च सा मता। चन्द्रलेखेन्दुलेखा च शशिलेखा मताच सा पूतिपर्णी कालमेषी दुर्गन्धा कुष्ठनाशनी // पूतिकर्णी कालमेषी दुर्गन्धा कुष्ठनाशिनी // पत्र. 121 वर्ग 1 लो. 165-6 पत्र. 38 रास्ना युक्तरसा रस्या श्रेयसी रसना रसा / रास्ना युक्तरसा रस्या श्रेयसी रसना रसा / सुगन्धमूलाऽतिरसा सैव युक्तरसा स्मृता / / सुगन्धमूलाऽतिरसा सैव पुत्तिरसा 'स्मृता / पत्र. 121 वर्ग 1 श्लो० 270 पत्र. 62 अन्या महासुगन्धा तु सुवहा गन्धनाकुली / अन्या महासुन्धा च सुवहा गन्धनाकुली / सर्पाक्षी नकुलेष्टा च छत्राकी विषमर्दनी // सर्पाक्षी नकुलेष्टा च छत्राकी विषमर्दिनी // पत्र. 122 वर्ग 4 लो० 105 पत्र. 155 कुठेरकस्तु वैकुण्ठः क्षुद्रपत्रोऽर्जकः सितः / कुठेरकस्तु वैकुण्ठः क्षुद्रपर्णोऽर्जकस्तथा / वटपत्रः कुठेरोऽन्यः पर्णासो बिल्वगन्धकः // वटपत्रः कुठेरोऽन्यः पर्णासों बिल्वगन्धकः / / कुठेरकस्तृतीयोऽन्यो मालुकः कृष्णमालुकः / कुठेरकस्तृतीयोऽन्यः शालुकः कृष्णशालुकः / कृष्णार्जकः कालतालः करालः कृष्णमल्लिकः॥ कृष्णार्जकः कालमालः करालः कृष्णमल्लिका // पत्र. 123 वर्ग 4 श्लो. 54, 56 पत्र. 145 सुरसा तुलसी प्राम्या तुलसी बहुमजरी / सुरसा तुलसी ग्राम्या सुरभी बहुमञ्जरी / आपीता राक्षसी गौरी भूतघ्नी देवदुन्दुभिः॥ अपेतराक्षसी गौरी भूतघ्नी देवदुन्दुभिः / / पत्र. 124 वर्ग 4 श्लो. 50 पत्र. 144 जम्बीरः खरपत्रश्च फणी चोक्तः फणिज्जकः / जम्बीरः खरपत्रश्च फणी चोक्तः फणिज्जकः / मरूबको मरुबको मरुन्मरिचकस्तथा // मरुत्तको मरुबको मर्मरुबकस्तथा // पत्र. 121 वर्ग 4 श्लो०५२ पत्र. 144 त्रायमाणा कृतत्राणा त्रायन्ती त्रायमाणिका / त्रायमाणा कृतत्राणा त्रायन्ती त्रायमाणका / बलभद्रा बलदेवा वार्षिक गिरिसानुजा // बलदेवा बलभद्रा वार्षिकं गिरिजानुजा // पत्र. 125 वर्ग 1 लो० 254 पत्र. 59 यासो यवासकोऽनन्ता बालपत्रोऽधिकण्टकः / यासो यवासकोऽनन्तो बालपत्रोऽधिकण्टकः / वीरमूलः समुद्रान्ता दीर्घमूलो मरुद्भवः // दूरमूलः समुद्रान्तो दीर्घमूलो मरुद्भवः // धन्वयासो दुरालम्भा ताम्रमूली च कच्छुरा / धन्वयासो दुरालम्भा ताम्रमूली च कच्छुरा / दुरालभा च दुःस्पर्शा यासो धन्वयवासकः / / दुरालम्भा च दुःस्पर्शा यासो धन्वयवासकः / / पत्र. 125 वर्ग 1 श्लो० 22,20 पत्र. 10-11 1. मता क. ग. घ. ङ. च. // 2. च्छत्राक्षी ङ. छ. झ. / / 3. सो गन्धबिल्वकः क. // 4. गिरितानुगम् / ङ. च; गिरिसानुजम् झ. //

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