Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ 362 अष्टमं परिशिष्टम् / निघण्टुशेषटीका धन्वन्तरीयनिघण्टु शृङ्गी कर्कटशृङ्गी च कुलीरा कर्कटाह्वया / शृङ्गी कर्कटशृङ्गी च कुलीरा कर्कटाह्वया / कुलिङ्गशृङ्गी वक्रा च महाघोषा नताशयपि॥ कुलीरभङ्गीचक्राच महाघोषा नवाङ्गिनी॥ चन्द्रा स्वादु विषाणी च प्रोक्ता च निजमूर्द्धजा // चन्द्रास्पदा विषाणी च शृङ्गी वनजमूर्धजा। पत्र. 108 वर्ग 1 श्लो०८५,८६ पत्र. 22 कण्टकारी च दुःस्पर्शा क्षुद्रा व्याघ्री निर्दिग्धिका। कण्टकारी तु दुःस्पर्शा क्षुद्रा व्याघ्री निदिग्धिका / कण्टालिका कण्टकिनी धावनी दुष्प्रधर्षणी // कण्टालिका कण्टकिनी धावनी दुष्प्रधर्षिणी // पत्र. 108 वर्ग 1 श्लो०९५ पत्र. 25 बृहती सिंहयनाक्रान्ता वार्ताकी राष्ट्रिका कुली। वृहती सिंहिकाकान्ता वार्ताकी राष्ट्रिका कुली विशदा स्थूलभण्टाकी महती तु महोटिका // विषदा स्थूलकण्टॉकी महती तु महोटिका / / पत्र. 109 वर्ग 1 श्लो०९३ पत्र. 24 विदारिका मता शुक्ला स्वादुकन्दा सृगालिका / / विदारिका मता शुक्ला स्वादुकन्दा शृगालिका / वृक्षकन्दा विदारी च वृक्षवल्ली विडालिका // वृष्यकन्दा विदारीच 'वृष्यवल्ली विडालिका / / पत्र. 110 __वर्ग 1 श्लो०१४७ पत्र. 34 अन्या क्षीरविदारी स्याद् ऋक्षगन्धेचुवल्लयपि / अन्या क्षीरविदारी स्यादिक्षुगन्धेचुवल्लयपि। क्षीरकन्दा क्षीरयुक्ता क्षीरवल्ली पयस्विनी॥ क्षीरवल्ली क्षीरकन्दा क्षीरशुक्ला पयस्विनी।। __ पत्र. 11. __ वर्ग 1 श्लो० 149 पत्र. 35 पृष्णि (नि) पर्णी पृथक्पर्णी कलशिर्धावनी गुहा। पृष्टिपर्णी पृथक्पर्णी कलशी धावनी गुहा। शृगालविन्ना धृतिला पर्णी क्रोष्टुकपुच्छिका // शृगालविन्नाऽबिला पर्णी क्रोष्टुकपुच्छिका // पत्र. 111 वर्ग 1 "लो० 90 पत्र. 23 गोक्षुरः स्याद् गोक्षुरको भक्षटः स्वादुकण्टकः / गोक्षुरः स्याद् गोक्षुरको भक्षकः स्वादुकण्टकः / गोकण्टको भक्षटकः षडन्तःक्षरकः क्षुरः॥ गोकण्ट को भक्षटकः षडङ्गः कण्टकत्रिकः / गोकण्टो गोखुरः कण्टी षडङ्गस्त्रिकटस्त्रिकः / गोकण्टो गोक्षुरः कण्टी षडङ्गः क्षुरकः क्षुरः। त्रिकण्टकः कण्टफलः श्वदंष्ट्रो व्यालदंष्ट्रकः // त्रिकण्टकः कण्टफलः श्वदंष्ट्रो व्यालदंष्ट्रकः // पत्र. 112 वर्ग 1 श्लो०१०२-१०३ पत्र. 26 दन्ती शीघ्रा निकुम्भा स्यादुपचित्रा मकूलकः / दन्ती शीघ्रा निकुम्भास्यादुर्पचित्रा मकूलकः / तथोदुम्बरपर्णी च विशल्या च घुणप्रिया // तथोदुम्बरपर्णी च विशल्या च गुणप्रिया // पत्र. 112 वर्ग 1 श्लो. 223 पत्र. 53 अपामार्गश्च शिखरी प्रत्यक्पुष्पी मयूरकः / अपामार्गस्तु शिखरी प्रत्यक्पुष्पी मयूरकः / अधःशल्याऽथ किणिही दुर्ग्रहः खरमजरी॥ अधःशैल्योऽथ किणिही दुर्ग्रहः खरमञ्जरी / / स एवोक्तः शैखरिको मर्कटी दुरतिग्रहः / स चैवोक्तः शैखरिको मर्कटी दुरभिग्रहः / पत्रपुष्पी च वशिरः कुटो मर्कटपिप्पली // पराक्पुष्पी वशीरश्च कण्टी मर्कटपिप्पली॥ पत्र. 114 वर्ग 1 श्लो. 260-261 पत्र.६० 1. कान्ता ण. // 2. स्थूलभण्टा' ख. ग. // 3. °ण्टाली म' ग. घ. छ. च. // 4. वृक्षक झ. // 5. वृक्षव झ. // 6. पवित्रा क. ख. ग. ङ, च. // 7. शल्यश्च कि क. ख. //

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