Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 403
________________ अष्टमं परिशिष्टम् / निघण्टुशेषटीका धन्वन्तरीयनिघण्टु प्रोक्ताऽन्या शङ्खधवला नामतः शङ्खयूथिका / / प्रोक्ताऽन्या शङ्खधवला नामतः शङ्खयूथिका / पत्र. 131 वर्ग 5 श्लो. 149 पत्र. 200 कुन्दः सुमकरन्दश्च श्वेतपुष्पो मनोहरः / कुन्दः सुमकरन्दश्च सदापुष्पो मनोहरः / अट्टाट्टहासो भृङ्गस्तु शुक्लशाल्योदनोपमः। अट्टहासोभृङ्गसुहृच्छुक्लः शाल्योदनोपमः।। पत्र. 132 वर्ग 5 श्लो०१५० पत्र. 201 ग्रीष्माऽतिसुरभिः कान्ता सुगन्धा बनमालिनी। ग्रैष्मी तु सुरभिः कान्ता सुगन्धा वनमालिनी। सुकुमारा शिखरिणी नेमाली नवमालिका / सुकुमारा शिखरिणी 'नेपाली बनमालिका / / पत्र.१३३ वर्ग५ लो० 140 पत्र. 198 मल्लिका शीतभीरुश्च मदयन्ती प्रमोदनी / मल्लिका शीतभीरुश्च मदयन्ती प्रमोदिनी / मदनीया गवाक्षी च भूपद्यष्टापदी तथा // मदनीया गाक्षी च भूपद्यष्टपदी तथा / पत्र. 133 वर्ग 5 श्लो०१३४ पत्र. 197 बार्षिकी त्रिपुटा व्यस्रा सुरूपा सुभगा प्रिया / वार्षिकी त्रिपुटा व्यस्रा सुरूपा सुभगा प्रिया / श्रीमती षट्पदानन्दा सुवर्षा मुक्तबन्धनी // श्रीमती षट्पदानन्दा सुवर्षा मुक्तबन्धना // पत्र. 164 वर्ग 5 लो 136 पत्र- 197 तरणी रामतरणी वर्णिनी चारुकेसरा / तरणी रामतरणी कणिका चारुकेसरा / रम्या कुमारी गन्धाढ्या द्विरेफगणसम्मता // सहा कुमारी गन्धाढ्या द्विरेफगणसम्मता / / पत्र. 134 वर्ग 5 श्लो०११५ पत्र. 199 सैरेयकः सहचरः सैरेयश्च सहाचरः। सैरेयकः सहचरः सैरेयश्च सहाचरः / पत्र. 135 वर्ग 1 श्लो. 278 पत्र. 63 पोतो रक्तोऽथ नीलश्च कुसुमैस्त विभावयेत् // पीतो रक्तोऽथ नीलश्च कुसुमैस्तं विभावयेत् / / पीतः कुरण्टको ज्ञेयो रक्तः कुरबकः स्मृतः / पीतः कुरण्टको ज्ञेयो रक्तः कुरबकः स्मृतः / नील आर्तगलो दासी बाण ओदनपाक्यपि // नील आर्तगलो दासी बाण ओदनपाक्यपि // पत्र. 135 _ वर्ग 1 लो० 278-279 पत्र.६३ चित्रको दहनो व्यालः पाठीनो दारुणोऽग्निक। चित्रको दहनो व्यालः पाठिनो दारुणोऽग्निकः / ज्योतिष्को वल्लरी वह्निः पाठी पाली कुटः शिखी। ज्योतिष्को वल्लरी वह्निः पाली पाठी कटुः शिखी। पत्र. 136 वर्ग 2 श्लो० 80 पत्र. 86 वासन्ती प्रहसन्ती च सुवसन्ता वसन्तजा / वासन्ती प्रहसन्ती च सुवसन्ता वसन्तजा / शीकरा शीतसंवासा सेव्या भ्रमरबान्धवा // शोभना शीतसंवासा सेव्या भ्रमरबान्धवा // पत्र. 137 वर्ग 5 श्लो. 139 पत्र. 198 नीलिनी नीलिका काली ग्राम्या तूणी विशोधनी। नीलिनी नीलिका काला ग्राम्या तूणी विशोधनी। तुत्था श्रीफलिका मेला भारवाही च रजनी। तुत्था श्रीफलिका 'मोचा भारवाही च रजनी / / पत्र. 138 धर्ग 1% लो० 232 पत्र. 55 1. नेवाली ख. // 2. भूतपर्ण्यपदी छ. झ. // 3. पाठीरो दाग. घ. // 4. ज्योतिष्कश्चा. रुणोह्निः ग. छ. / / 5. पाठी पाठिः शठः शिखी ग. // 6. मेला क. ख. ग. छ. च. //

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