Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 410
________________ हैमनिघण्टुटीकोद्धृतानामवतरणानां धन्वन्तरीयनिघण्टुना तुलना / 373 निघण्टुशेषटीका धन्वन्तरीयनिघण्टु पद्मिनी स्यात् पुटकिनी नलिनी च कुमुद्वती। पद्मिनी स्यात् कुटपिनी नलिनी च कुमुदती / पलाशिनी पद्मवती वनखण्डं स चाऽऽकरः॥ पलाशिनी पद्मवती वनखण्डा सरोहारु // पत्र. 176 वर्ग 4 लो० 157 पत्र. 166 बिसं मृणालं बिसिनी मृणाला स्यान्मृणालिका। बिसं मृगलं बिसिनी मृणाली स्थान्मृणालिका / मृणालं पद्मनालं तु तन्तुलं नलिनीरुहम् / / मृणा लकं पद्मनालं तण्डुलं नलिनीरुहम् // पत्र. 180 वर्ग 4 श्लो. 161 पत्र. 167 पद्मकेसरमापीतं किल्क किजमेव च। पद्मकेसरमापीतं किजल्कं किञ्जमेव च / मकरन्द तथा तुङ्गं गौरं काञ्चनमेव च // मकरन्दं तथा तुझं गौरं काञ्चनकं च तत् // पत्र. 180 वर्ग 4 लो० 165 पत्र. 167 पद्ममूलं तु शालूकं शकलं करहाटकम् / पद्ममूलं तु शालूकं सकलं करहाटकम् / शालीनं पद्मकन्दं तु जलालूक निगद्यते / / शालिनं पद्मकन्दं च जलालूकं निगद्यते // पत्र. 180 वर्ग 4 लो० 163 पत्र. 167 पद्मबीजं तु गालोड्यं पद्माहं पद्मकर्कटी। पद्मबीजं तु पद्माक्षं गालोड्यं पद्मकर्कटी / पत्र. 181 वर्ग 4 लो० 159 पत्र. 166 शतपुष्पा मिसि?षा शिफका माधवं शिफा। शतपुष्पा मिशिEषा पीतिका माधवी शिफा / अतिच्छत्रा त्ववाक्पुष्पा शत।ह्वा कारवी स्मृता॥ अतिच्छत्रा त्ववाक्पुष्पी शताह्वा कारवी स्मृता // पत्र. 182 वर्ग 2 श्लो०१ पत्र. 69 कुञ्चिका चोपकुञ्चीच कालिका चोपकालिका। उपचा चोपकुञ्ची कालिका चोपकालिका। सुषवी कुञ्चिका कुञ्ची पृथ्वी कृष्णेच जीरके सुषवी कुञ्चिका कुची पृथ्वीका स्थूलजीरकः। पत्र. 183 वर्ग 2 लो०५९ पत्र. 81 पलाण्डुर्यवनेष्टश्च सुकन्दो मुखदूषणः / पलाण्डुर्यवनेष्टश्च सुकन्दो मुखदूषणः / हरणः वर्ग 4 श्लो०७१ पत्र. 148 पत्र. 184 हरितोऽन्यः पलाण्डुश्च लतार्को "दुद्रमः स्मृतः / हरणोऽन्यः पलाण्डस्तु लतार्को दुर्द्रमश्च सः। वर्ग 4 श्लो०७१ पत्र. 148 पत्र. 184 सातला सप्तला सारी विपुला विमलाऽमला / सातला सप्तला सारी विदुला विमलाऽमला। बहुफेना चर्मकषा फेना दीप्ता मरालिका // बहुफेना चर्मकसा फेना दीप्ता रसालिका // पत्र. 185 वर्ग 1 लो०२३८ पत्र. 56 प्रसारणी सुप्रसरा सरणी सारणी च सा / प्रसारणी सुप्रसरा सरणी सारणी च सा / चारुपी राजबला भद्रपर्णी प्रतानिका // चारुपी राजबला भद्रपर्णी प्रतानिका // पत्र. 185 वर्ग 1 लो०२८९ पत्र. 66 वृद्धदारक आवेगी जुङ्गको जीर्णवालकः / वृद्धदारुक आवेगी जुङ्गको दीर्घवालुकः / अन्तः कोटर पुष्पी स्याद जाण्डी छगलाण्ड्यपि।। वृद्धः कोटरपुष्पी स्यादजान्त्री छागलान्त्र्यपि॥ पत्र. 187 वर्ग 4 लो०१०७ पत्र. 155 1. खण्डं स चाकरः हैमनिघण्टुशेषटीकोद्धरणे। २.षा पौतिका क; षा पोतिका ग. छ; °षा शाफिका ख // 3. मागधी ग. // 4. आहिच्छत्रा ह्यवाक् ख. // 5. कुञ्चीकोपकुञ्ची झ. // 6. वी कारवी कुञ्ची फ. ङ. // 7. दूषकः ग. घ. // 8. दुद्रुमो मतः ग. // 9. बिन्दुला च.१०. कोजीर्णवालुकः ज. त. //

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