Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ 372 अष्टमं परिशिष्टम् / निघण्टुशेषटीका धन्वन्तरीयनिघण्टु शारिवाऽन्या कृष्णमूला कृष्णा चन्दनशारिवा। सारिवाऽन्या कृष्णमूली कृष्णा चन्दनसारिवा। भद्रा चन्दनगोपी च चन्दना कृष्णवल्लयपि // भद्रा चन्दनगोपा तु चन्दना कृष्णवल्लयपि // पत्र. 170 - वर्ग 1 श्लो. 162 पत्र. 38 मुर्वा मधुरसा देवी पृथक्पर्णी त्रिपर्ण्यपि / मूर्वा मधुरसा देवी पृथक्त्वक् पीलुपर्ण्यपि। देवश्रेणी स्वादुरसा स्निग्धपी च मोरटा॥ देवश्रेणी स्वादुरसा स्निग्धपर्णी च मोरटा // वर्ग 1 लो० 13 पत्र. 9 पत्र. 171 कलिकारी तु हलिनी विशल्या गर्भपातिनी / कलिकारी तु हलिनी विशल्या गर्भपातनी / लाङ्गल्याऽग्निसुखी सीरी दीप्ता नक्तेन्दुपुष्पिका लागल्यग्निमुखी सैरी दीप्ताऽनन्तेन्द्रपुष्पिका // ___ वर्ग 4 लो०९ पत्र. 135 पत्र. 172 गुडूच्यमृतवल्ली च च्छिन्ना छिन्नरुहाऽमृता / गुडुच्यमृतवल्ली च छिन्ना छिन्मरहाऽमृता / छिन्नोद्भवाऽमृतलता धारा वत्सादनी स्मृता // छिन्नोद्भवाऽमृतलता धरा वत्सादनी स्मृता / / सैवोक्ता सोमवल्ली च कुण्डली चक्रलक्षणा। सैवोक्ता सोमवल्ली च कुण्डली चक्रलक्षणा / प्रोक्ता रागकुमारीच च्छिन्नाङ्गी ज्वरनाशिनी / / जीवन्ती मधुपर्णी च तन्त्रिका देवनिर्मिता / / जीवन्ती मधुपर्णी च तन्त्रिका देवनिर्मिता / वयस्था कुण्डली सौम्या विशल्याऽमृतसम्भवा / वयस्था मण्डली सौम्या विशल्याऽमृतसम्भवा // पिण्डामृता बहुच्छिन्ना सा चोक्ता कन्दरोहिणी पिण्डामृता बहुच्छिन्ना सा चोक्ता कन्दरोहिणी। रसायनी कृत्तरुहा स्वरदा ज्वरनाशनी // रसायनी मृत्तिका च चन्द्रहासा भिषग्जिता पत्र. 173 कन्या कन्दोद्भवा कन्दाऽमृतकन्दा गुडूचिका / जीमूतको देवताडो वृत्तकोशो गरागरी / वर्ग 1 इलो. 1-5 पत्र. 7-8 जीमूतको 'देवताडो वृत्तकोशो गरागरी / प्रोक्ताऽऽखुविषहा वेणी देवताडो च ताडकः // प्रोक्ताऽऽखुविषहा वेणी देवदालीच ताडका।। पत्र. 173 वर्ग 1 श्लो 40 पत्र. 7-8 कोशातकी कृतच्छिद्रा जालिनी कृतवेधना। कोशातकी कृतच्छिद्रा जालिनी कृतवेधनी। श्वेडा सुतिका घण्टाली मृदङ्गफलिका मता // क्ष्वेडा सुतिका घण्टाली मृदङ्ग फलिका मता // धामार्गवः कोशफलो राजकोशातकी तथा / धामार्गवः कोशकला राजकोशातेकी तथा / कर्कोटकी पीतपुष्पी महाजालो तथोच्यते // कर्कोटकी पीतपुष्पा महाजाली निरुच्यते // पत्र. 174 वर्ग 1 श्लो० 192,189 पत्र. 46-45 क्षीरिणी काञ्चनक्षीरी पदपर्णी च धर्षणी / क्षीरिणी काञ्चनक्षीरी कटुपर्णी च धर्षिणी। तिक्तदुग्धा हैमवती हेमदुग्धा हिमावती / / तिक्तदुग्धा हैमवती हेमदुग्धा हिमावती // स्वर्णक्षीरी स्वर्णदुग्धा सुवर्णक्षीरिकाऽपि च / सर्वक्षीरी स्वर्णदुग्धा सुवर्णक्षीरिका ऽपि च / हिमाह्वा कनकक्षीरी हेमक्षीरा च काञ्चनी॥ 'हेमाह्वा कनकक्षीरी हेमक्षीरी च काञ्चनी॥ पत्र. 175 वर्ग 1 श्लो० 240,242 पत्र. 56,57 द्रवन्ती शम्बरी चित्रा न्यग्रोधी मूषकाह्वया। द्रवन्ती शम्बरी चित्रा न्यग्रोधा मूषिकाह्वया / प्रत्यवश्रेणी वृषा रण्डा पुत्रश्रेण्याखुपर्णिका // . प्रत्यक्श्रेणी विषा चण्डा पुत्रश्रेण्या खुपर्णिका // पत्र. 176 वर्ग 1 श्लो० 229 पत्र. 54 1. ताङ्गो वृत्त क. ताङ्गो गकोशा नागरा गिरा। प्रोक्ता छ. च // 2. तकी फला क. ख. ग. छ. च. // 3. का मता हे क. छ. // 4. हेमाङ्गा क.॥ 5. मूलका छ. // 6. पुत्रङ्गयाखु क . घ. ड. च //

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