Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
View full book text
________________ हैमनिघण्टुटीकोद्धृतानामवतरणानां धन्वन्तरोयनिघण्टुना तुलना। 367 निघण्टुशेषटीका धन्वन्तरीयनिघण्टु दमनकं पाण्डुराङ्गं दान्तं गन्धोत्कटं दमनः पाण्डुरागः स्याद् दान्तो गन्धोत्कटो मुनिम् / मुनिः / पुण्डरीकं ब्रह्मजटमृषिपुत्रं तपस्विनम्॥ पुण्डरीको ब्रह्मजटा तपस्वी ऋषिपुत्रकः // पत्र. 138 वर्ग 3 *लो० 64 पत्र.१०९ धत्तूरकः स्मृतो धूर्तो देवता कितवः शठः / धत्तूरः कनको धूर्तो देवता कितवः शठः / उन्मत्तको मदनकतरुस्तलफलस्तथा।। उन्मत्तको 'मदनकः कालिश्च हरवल्लभः॥ पत्र. 139 वर्ग 4 श्लो०७ पत्र 135 शङ्खपुष्पी कम्बुपुष्पी शङ्खाह्वा शङ्खमालिनी / शङ्खपुष्पी कम्बुपुष्पी शङ्खाहा कम्बुमालिनी / किरीटी शङ्खकुसुमा मेध्या वनविलासिनी॥ तिलकी शङ्खकुसुमा मेध्या वनविलासिनी // पत्र. 140 वर्ग 4 श्लो० 113 पत्र.१५६ क—रको गन्धमूलो द्राविडः काल्य एव च। क—रोगन्धमूलश्च द्राविडः कार्य एव च / वेधमुख्यो दुर्लभश्च कस्यचित् सम्मता शटी॥ वेधमुख्यो दुर्लभश्च कस्यचित् सम्मतः सढी॥ पत्र. 140 वर्ग 3 श्लो० 94 पत्र. 114 अजमोदा बस्तमोदा दीप्यको लोचमस्तकः।। अजमोदा बस्तमोदा दीप्यको लोचमर्कटः / खराश्वा कारवी वल्ली मोचा हस्तिमयूरकः।। खराह्वा कारवी वल्लिर्मोदा हस्तिमयूरिका। पत्र. 141 वर्ग 2 *लो. 98 पत्र. 89 यवानी दीपको दीप्यो यवसाह्वा यवानिका / यवानी दीपको दीप्यो यवसाह्वो "यवाग्रजः / यमानिकोग्रगन्धा च दोपनीया च दीपनी // यवानिकोग्रगन्धा च दीपनीया च दीपनी / / पत्र. 141 वर्ग 2 श्लो० 91 पत्र. 88 पर्पटः स्यात् पर्पटको वरतिक्तश्च नामतः / पर्पटः स्यात् पर्पटको वर तिक्तः सुतिक्तकः। रजो रेणुश्च पांसुश्च कवचश्चर्मकण्टकः // . रजो रेणुश्च पांशुश्च कवचो वर्मकण्टकः // पत्र. 142 वर्ग 1 श्लो० 45 पत्र. 16 बला भद्रादनी वाटी समाङ्गा खरयष्टिका / बला भद्रौदनी वाटी समझा खरयष्टिका / महासमाङ्गौदनिका शीतपाक्योदनाह्वया // महासमौदनिका शीतपाक्योदनाह्वया // पत्र. 143 वर्ग 1 लो०२८० पत्र. 64 महाबला वर्षपुष्पी तथा वाटयायनी स्मृता / / महाबेला वर्षपुष्पी तथा वाटयायनी स्मृता। सहदेवी देवसहा पीतपुष्पी बृहत्फला // सहदेवा देवसहा पीतपुष्पी बृहत्फला // बलिकाऽतिबला ज्ञेया वाट्यपुष्पी च कङ्कता / बलिकाऽतिबला प्रोक्ता वाटयपुष्पी च कङ्कता। ऋष्यप्रोक्ता ऋक्षगन्धा सैव भूरिबला मता // वृष्या प्रोक्ता वृष्यगन्धा सैव भूरिबला मता॥ पत्र. 144 वर्ग 1 श्लो०२८२, 286 पत्र. 65 वात-पित्तापहं ग्राहि बल्यं वृष्यं बलात्रयम् / वातपित्तापहं प्राहि बल्यं वृष्यं बलात्रयम् / पत्र. 144 वर्ग 1 श्लो०२८७ पत्र. 65 1. मदकरः कालि क. ख. ग. // 2. हा शङ्खमालिनी क. ङ. // 3. तिरीटी क. ख. ङ. // 4. कार्ष क. / / 5. यवानिका ख. झ. // 6. तिक्तश्च नामतः। रजो क. ख. ग. घ. ङ. // 7 पाण्डुश्च घ. ङ. // 8. ब्रह्मकण्टकः ग; कर्मकण्टकः त. / / 9 'बला वाटयपुष्पी क. // 10. पुष्पा क. छ. //

Page Navigation
1 ... 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414