Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 400
________________ हैमनिघण्टुटीकोद्धृतानामवतरणानां धन्वन्तरीयनि घण्टुना तुलना। 363 निघण्टुशेषटीका धन्वन्तरीयनिघण्टु शुण्ठी महौषधं विश्वा नागर विश्वभेषजम् / शुण्ठी महौषधं विश्वं नागरं विश्वमेषजम् / विश्वौषधं शृङ्गबेरं कटुभङ्गं तथाऽऽर्द्रकम् // विश्वौषधं शृङ्गबेरं कटुभद्रं तथाऽऽकम् // पत्र. 115 वर्ग 2 श्लो. 82 पत्र. 86 पुनर्नवा विशाखश्च कटिल्लः शशिलाटकः। पुनर्नवा विशाखश्च कठिल्लः शशिवाटिका। वृश्ची च क्षुद्रवर्षाभूर्दीर्घपत्रः कटिल्लकः // 'वृश्चीरः क्षुद्रवर्षाभूर्दीर्घपत्रः कठिल्लकः // पत्र. 115 वर्ग 1 श्लो०२७४ पत्र. 62 पुनर्नवाऽपरा करः सद्यो मण्डलपत्रकः / पुनर्नवोऽपरः क्रूरः सद्यो मण्डलपत्रकः / श्वेतमूलो वर्षाकेतुर्महावर्षाभूरुच्यते // श्वेतमूलो वर्षकेतुर्महावर्षाभुरुच्यते // पत्र. 116 . वर्ग 1 लो०२७६ पत्र. 63 ज्योतिष्मती तु कटभी स्यात् सुवर्णलतेति च। ज्योतिष्मतो तु कटभी सुवर्णलतिकेति च / ज्योतिष्का चाग्निभासा च लवणोदा च दुर्दिना॥ ज्योतिष्कायाऽग्निभासा च लवणोक्ता च दुर्जरा॥ पत्र. 116 वर्ग 1 श्लो०२६७ पत्र. 61 माषपर्णी तु काम्बोजी कृष्णवृन्ता महासहा। माषपर्णी च काम्बोजी कृष्णवृन्ता महासहा / आर्द्रमाषा सिंहवृन्ता मांसमाषाऽश्वपुच्छिका // आर्द्रमाषा सिंहविन्ना मांसमासाऽश्वपुच्छिका // पत्र. 117 वर्ग 1 श्लो०१३६ पत्र. 32 मुद्रपर्णी क्षुद्रसहा शिम्बी मार्जारगन्धिका / मुद्गपर्णी क्षुद्रसहा शिम्बी मार्जारगन्धिका / वनजा रङ्गणी ह्रासा शूर्पपर्णी बुधैः स्मृता॥ वनजा रिङ्गिणी हस्वा शूर्पपावुभे स्मृते॥ पत्र. 117 वर्ग 1 ला० 138 पत्र. 32 तामलक्युत्तमा ताली तमालं तु तमालिनी। तामलक्यजटा ताली तमालं तु तमालिनी। वितुन्नकस्त्वज्झटा च झाटा साऽऽमल- वितुन्नभूता तमकं भूधात्री भ्वामलक्यपि / / कीति च // वर्ग 3 श्ले०८४ पत्र. 112 पत्र. 118 हरिद्रा पीतिका पिङ्गा रजनी रजिनी निशा। हरिद्रा पीतिका पिङ्गा रजनी रजिनी निशा। गौरी वर्णवती पीता हरिता वरवर्णिनी // गौरी वर्णवती पीता हरिता वरवर्णिनी // हलदी हलना श्रेष्ठा ज्ञेया वर्णविलासिनी। हलदीका भद्रलता ज्ञेया वर्णविलासिनी / विषघ्नी च जयन्ती च दीर्घरक्ता सुरङ्गिणी।। विषघ्नी च जयन्ती च दीर्घरङ्गा तु रङ्गिणी॥ पत्र. 119 वर्ग 1 श्लो. 54-55 पत्र. 17 चक्रमर्दस्त्वेडगजो मेषाक्षोऽण्डगजः स्मृतः। चक्रमर्दस्त्वेडगजो मेषाक्षोऽण्डगजस्तथा / प्रपुनाटः प्रपुनटश्चकी त्वावर्तकः स च॥ प्रपुन्नाटः प्रपुन्नाडश्चक्री व्यावर्तकस्तथा // पत्र. 119 __वर्ग 4 श्लो०५ पत्र.१३४ श्रावणी स्यान्मुण्डनिका भिक्षुः श्रवणशीर्षिका। श्रावणी स्यान्मुण्डिनिका भिक्षुः श्रवणशीर्षिका / श्रवणाह्वा प्रव्रजिता परिबाजी तपोधना // श्रावणाह्वा प्रव्रजिता परिव्राजी तपोधना // पत्र. 120 वर्ग 1 श्लो. 159 पत्र. 37 1. वृश्चिकः छ. // 2. दुर्भरा क. छ.; दुर्लभा ग. // 3. हरिद्रा क. ख. ग. घ. उ. // 4. हलादिका क. // 5. ब्राजी तथा घना / क. ङ. च. //

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