Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 379
________________ 342 पञ्चमं परिशिष्टम् / श्लोकादि पृष्ठम् प्रलोकादि रोधो लोध्रः शाबरकरक्तचन्दनमप्यन्य धन्व० 3-175 प० 129] 64 [धन्व० 3 4 50 94] रोहितको रोचनक रक्तपादी शमीपत्रा ] 81 [धन्व० 4-109 50 155] 156 लकुचः क्षुद्रपनसो [धन्व० 4 -111 प० 156] 157 रक्तशालिदीर्घशूकः लक्ष्मीफलो गन्धगर्भः ] 209 धन्व० 1-107 प० 20] 46 रक्तशालिलोहितः स्याद् लवङ्ग देवकुसुम ] 209 [धन्व० 3-41 प० 104] लशुनो दीर्घपत्रश्च शाश्वत० श्लो० 540] 178 [सुश्रुत ] 184 रक्तोऽपरो हस्तिकर्णः लामज्जकं लघु लयधन्व० 1-296 50 67] 85 [अमर० का० 2 वर्ग 1-165] 207 रजनी श्रीफली तुत्था लामज्जकं सुनालं स्या[अमर० का० 2 वर्ग 4-95] 138 [धन्व० 3-86 50 113] 207 रथाभ्रपुष्पविदुल लोलं सूक्ष्म फलं तत्तु [अमर० का० 2 वर्ग 4-30] 72 रसवीर्यविपाकेभ्यो . ] 24 वचोग्रगन्धा गोलोमी रसायनी कृत्तरुहा [धन्व० 2-6 प० 70] 169 वटो रक्तफलः शुङ्गी [धन्व० 1-4 प० 8] 173 राजक्षवक इत्यन्यो धन्व० 5-76 प० 184] 26 [धन्व० 4-43 प० 143] 218 वनमुद्गस्तुवरकः .] 212 राजाम्रातक आम्लातो वन्दनी पुष्पशोभना [धन्व० 5-11 प० 170] ] 105 राजाकों वसुकोऽन्योऽकों वन्दाका स्याद् वृक्षरुहा [धन्व० 4-16 50 137] 30 / धन्व०४-९७ प० 153] रास्ना युक्तरसा रस्या वयस्था कुण्डली सौम्या [धन्व० 1-270 प० 62] 121 [धन्व० 1-3 प० 8] 173 रोध्रः शाबरकः श्वेत वयःस्थाऽऽमलकं तिष्यं [धन्व० 1-215 प० 51] 48 रोध्रस्तिरीटः कानीन वरुणः श्वेतपुष्पश्च [धन्व. 5-119 प० 193] [

Loading...

Page Navigation
1 ... 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414