Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ हैमनिघण्टुशेषटीकान्तर्गतानां ग्रन्थान्तरावतरणानामनुक्रमः। 345 श्लोकादि पृष्ठम् ____ श्लोकादि पृष्ठम् सर्वाण्येतानि तुल्यानि सैरेयकस्तु झिण्टी स्यात् धन्व. 3-10 प. 95] [अमर. का० 2 वर्ग 4-75] 136 सर्वानुकारिणी तन्वी सैरेयकः सहचरः धन्व० 1-91 प० 23] 149 धन्व० 1-278 5063] 135 सर्षपः कटुकः स्नेहो सैवोक्ता सोमवल्ली च [धन्व० 1-2 508] 173 सल्लकी वल्लको ह्रादा स्थौणेयकं वह्निचूड [धन्व० 3-135 10 122] 84 धन्व० 3-69 प०११०] 93 सहस्रवीर्याऽभीरुश्च स्निग्धच्छदा मधुश्रेणी [धन्व० 1-293 प० 67] 1 सहस्रवेधी चुक्रोऽम्ल स्नुक् सुधा च महावृक्षो अमर० का० 2 वर्ग 4-141] 35 [धन्व० 1-235 प०५५] सहा कुमारी तर्राण स्पृक्का माला पङ्कमुष्टि[अमर० का० 2 वर्ग 4-73] 136 स हि धर्मोत्पादकस्तिर स्पृवका स्पृग् ब्राह्मणी देवी कन्दलीकार [धन्व० 3-62 प०१०८] संज्ञया बीजको ज्ञेयो स्मृता कर्कटशृङ्ग्यां च [ [महेश्वर ] 108 . सातला सप्तला सारी स्यात् पूगफलमुद्वेग [धन्व० 1-238 प० 56] 185 [धन्व० 3-39 प०१०३] 101 साले तु सर्जकार्शाश्व स्याद् वीरणं वीरतरं - [अमर० का० 2 वर्ग 4-44] 58 [अमर० का० 2 वर्ग 4-164] 206 सितनीलोऽथ नेपालो स्योनाकः शुकनाशश्च वाचस्पति धन्व० 1-114] प०२८] 50 सिन्दुवारःश्वेतपुष्पः स्रग् मारुता कोटिवर्षा ___ [धन्व० 4-81 50 150] 103 सिल्हकः कपिजो धूम्रः स्वर्णक्षीरी स्वर्णदुग्धा - धन्व० 1-242 1057] 175 सुगन्धिर्नीलनिर्यासः स्वर्णयूथिका [धन्व० 5-148 प०२००] 131 सुरसा तुलसी ग्राम्या [धन्व० 5-50 50 144] 124 हजिका ब्राह्मणी पद्मा। सुवर्चलाऽऽदित्यकान्ता . [अमर० का० 2 वर्ग 4-89] 150 . [धन्व० 4-98 प०१५३] 187 हठोऽम्बुपर्ध्या प्रसभे सूक्ष्मैला द्राविडी तुच्छा हैमानेकार्थ श्लो० 124] 181 [धन्व० 2-41 5.78] हयुषा वपुषा विस्रा

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