Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ 332 श्लोकादि आरग्वधो दीर्घफलो [धन्व. 1-219 प० 52] आशु/हिः पाटलः स्यात् [ ] 208 आभ्वाख्या शालि-शीघ्रयोः पञ्चमं परिशिष्टम् / पृष्ठम् श्लोकादि एरण्डस्तरुणश्चित्र [धन्व० 1-295 प० 67] एलावालुकमालूकं धन्व० 3-76 प० 111] 85 128 208 ऐन्द्रीन्द्रवारुणीन्द्राह्वा धन्व० 1-248 पत्र. 58] 168 इशदो भल्लकोवृक्षः ] 43 ककुभस्त्वर्जुनः पार्थो इज्जलो हिजलो गुच्छ इति वर्णनिघण्टोऽयं [चामुण्डपण्डित ] 4 कक्कोलकं कृतफलं धन्व० 3-37 प० 102] कङ्कुष्ठं काककुष्ठं तु धन्व० 3-141 50 123] कङ्केल्लिहेमपुष्पश्च 97 उत्तालकस्तिल्वकाच उदकीयस्तृतीयोऽन्यः . धन्व० 5-109 प० 191] 81 / / उदुम्बरस्तु यज्ञाङ्गः उशीरं च मृणालं स्या [धन्व० 3-14 प० 96] 206 / / उनोऽम्लेन रसेनेति ... [व्याडि ] 183 कटङ्कटेरी पर्जन्या [धन्व० 1-59 कटुकं त्रपुसं प्रोक्तं ] 195 कटुका मत्स्यशकुला धन्व० 1-37 पत्र. 14] 163 कटुकालाबुनी तुम्बी [धन्व० 1-17. पत्र. 39] 195 कट्फलःसोमवल्कश्च [धन्व० 1-73 प० 21] कण्ट आर्तस्वरे वोपदेव धातुपाठ ] 19 कण्टकारी च दुःस्पर्शा धन्व० 1-95 प० 25] 108 कतकश्छेदनीयश्च धन्व० 3-172 प. 129] 86 कत्तणं शकलं भूरि [धन्व० 1-80 प० 21] 198 कदली वारणबुसा [अमर० का० 2 वर्ग 4-113] 89 96 ऋर्वृिद्धिः सुखं सिद्धी [धन्व० 1-145 पत्र. 34] ऋषभो धूर्वहो धीरो धन्व० 1-125 प० 30] ऋष्यप्रोता स्वयङगुप्ता [इन्दु ] 96 / 164 एते च हिन्तालसहिताः अमर० का० 2 वर्ग 5-169] 102

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