Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 373
________________ 336 पञ्चमं परिशिष्टम् / श्लोकादि पृष्ठम् श्लोकादि पृष्ठम् जीवकः शृङ्गकः सों तिनिशश्चित्रकृद् नेमिः [धन्व० 1-123 प० 30] 196 [ जीवन्ती जीबनीया च तिन्दुको नीलसारश्च [धन्व० 1-140 50 33 ] [धन्व० 5-40 50 176] 63 ज्ञेया जाङ्गलिका सैव तिन्दुकोऽन्यो द्वितीयस्तु ] 164 [धन्व० 5-41 50 176 ] 63 ज्योतिष्मती तु कटभी तिलकः परुषः श्रीमान् [धन्व. 1-267 प० 61] 116 [धन्व० 5-158 प०. 202] 7 तिलकः पूर्णकः श्रीमान् तगरं कुटिलं वक्र . [धन्व० 5-158 प० 202] 7 [धन्व० 3-53 50 106] 90 तिलपर्णी तु पत्राङ्गं तण्डुलीयक उद्दिष्ट [अमर० का०२ वर्ग 6-132] 17 [धन्व० 4-116 प० 157 ] 190 तिलपूतस्तिलफलतत्र शोणे कुरबक-- [ अमर० का०२ वर्ग 4-74 ] 136 ] 217 तुङ्गः पुष्पकसंज्ञः स्यात् . तमालपत्रं पत्रं स्यात् [इन्दु० [धन्व० 2-52 ] 18 प० 80] 20 तुम्बुरुः सारसः सौरो तरणी रामतरणी ___ [धन्व० 5-145 10 199 ] 134 [धन्व० 2-42 प० 78 ] 89 तुरगी त्वश्वगन्धायां तर्काया वैजयन्ती च [विश्वलोचने गान्तवर्गे 40 ] 106 [चन्द्रनन्दन ] 49 तूलं नूदं च यूपं च तल्लक्षणं क्लीतनं च [धन्व० 1-144 प. 31] 106 .. [धन्व० 5.64 प० 181 ] 90 तस्याः फलं विनिर्दिष्टं तृणशूल्यं तु मल्लिका [धन्व० 2-78 50 85 ] 167 [ अमर० का० 2 वर्ग 4-69] 133 तामलक्युत्तमा ताली तृतीयो मधुशिग्रुः स्यात् [धन्व० 3-84 प० 112] 118 ] 51 तेजस्विनी तेजवती ताल चाष्टविधो ज्ञेयो [धन्व० 1-266 प० 61] 151 तैलपर्णिक-गौशीषौं तालीसकं तु तालीसं [अमर० का० 2 वर्ग 6-131] 15 - [धन्व० 2.53 प० 80] 153 त्रायमाणा कृतत्राणा तालीसपत्रं तालीसं . ] 153 [धन्व० 1-254 प० 59] 125 तालो ध्वजद्रुमः प्रांशु त्रिवधृष्ट नवे शुद्ध [धन्व० 5-68 प० 162] 99 [ मङ्ख

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