Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ 0 हैमनिघण्टुशेषटीकान्तर्गतानां ग्रन्थान्तरावतरणानामनुक्रमः / / 337 प्रलोकादि - पृष्ठम् प्रलोकादि पृष्ठम् धर्मणः सर्पभेदेऽपि दन्ती शीघ्रा निकुम्भा स्या [बिश्वलोचने णान्तवर्गे 58] [धन्व० 1-223 प०५३ ] 112 धवो नन्दितरुौरः दमनकं पाण्डुरा' धन्व० 6-4 50204] [धन्व० :-64 - प०१०९] 138 धातकी ताम्रपुष्पी च दमनो मदान्तो दमो [धन्व० 3-90 प०११३] | [ ] 138 / धामार्गवः कोशफलो दर्भाणां स्थाने शरैः धिन्व० 1-189 प०४५] ] 202 धूलीकदम्बोऽन्यः दालिमो दाडिमः सारः [धन्व० 5-105 प० 190] 10 [धन्व० 2-61 5081] 82 ध्यात्वाऽहंतः कृतैकार्थदेवकाष्ठं भद्रकाष्ठं हैमानेकार्थकोश लो० 1] [धन्व० 1-77 प०२१ ] 61 देवदारु स्मृतं दारु नकुलेष्टा भुजङ्गाक्षी [धन्ब० 1-76 प०२१] 61 [अमर. का. 2 वर्ग 4-115] 122 दैत्योऽसुरे मुरायां च नदीकूलप्रियस्त्वन्यः [विश्व० ] 154 - ] 73 द्रवन्ती शम्बरी चित्रा नदीसों वीरतरुधिन्व. 1-229 प०५४ ] 176 [अमर० का० 2 वर्ग 4-45] 58 द्वितीया गन्धमांसी च नलदं सेव्यममृणालं [धन्व० 3-47 50105] [अमर० का० 2 वर्ग 4-164] 207 द्वितीया पाटला श्वेता नलं सरोज नलिन[धन्व० 1-122 प०२९] 14 ] 178 द्वितीयो रक्तपुष्पस्तु नलिका विद्रुमलता [धन्व० 4-2 प०१३४] 19 धन्वः 3-43 प०१०४] 23 द्वौ च कुलाय-कुलत्थौ नलो नडो नटश्चैव ] 208 [धन्व० 4-141 प०१६२] 201 श्लोकादि पृष्ठम् नाकुली सुरसा नाग [अमर० का० 2 वर्ग४-११४] 122 धत्तूरकः स्मृतो धूर्तो नागपुष्पो मतो नागः [धन्व० 4-7 प०१३५] 139 [धन्व०२-४८ पत्र. 79] धन्वनो गोत्रविटपी नागः पन्नग-मातङ्ग ] 59 मेदिनी-गान्तवर्ग 8] धन्वयासो दुरालम्भा -- नाडी हिगुपलाशा च [धन्व० 1-20 5011 ] 125 [धन्व० 2-40 50 75] 146 43 cc

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