Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ श्लोकादि पञ्चमं परिशिष्टम् / पृष्ठम् श्लोकादि पृष्ठम् कुठेरकस्तृतीयोऽन्यो क्षीरिकोक्ता च राजन्या [धन्व० 4-56 प० 145] 123 [ धन्व० 5-91 प० 187]28 कुन्दः सुमकरन्दश्च क्षुद्राम्र उक्तकोशश्च [धन्व० 5-150 प० 201] 132 धन्व. 5-9 पत्र. 170]69 कुम्भोलूखलक क्लीबे क्षुद्राम्लिका तु चाङ्गेरी [अमर० का० 2 वर्ग 4-34] 43 [धन्व० 5-36 प. 175] 190 कुलत्थश्चक्रिकश्चक्र क्षुद्रायां क्षुद्रवार्ताक्यां ] 213 / [ शाश्वत० श्लो० 420] 109 कुलिशतरुः सीहुण्डः मेखला] [ खर्जुरी तु खरस्कन्धा कुर्शिशपाऽन्या कपिला [धन्व. 5-53 पत्र-१७८] 98 धन्व० 5-121 प. 194] 40 खदिरः श्वेतसारोऽन्यः कुष्ठं रोगो गदो व्याधि [ धन्व० 1-27 50 12] 38 धन्व० 3-49 10 105 127 खदिरो रक्तसारश्च कृष्ण कृन्ता कुबेराक्षी . [धन्व० 125 प० 11]37 [अमर. का० 2 वर्ग 4-55] 13 खपुरो लसके भद्रकेतकस्तु द्वयोः [ गौड ] 100 वाचस्पतिः खर्जूरः केतकी ताली कैडर्य पिचुमन्दश्च [अमर० का० 2 वर्ग 5-170] 102 [धन्व० 1-34 प० 14] 126 कोविदारे च कुद्दाल: गण्डदूर्वा तु गण्डाली [धन्व० 4 - 145 10 163] 204 कोशातकी कृतच्छिद्रा गण्डीरो नाम समष्ठिला [धन्व० 1-192 पत्र. 46] 174 190 क्रमुकः पट्टिकाख्यः स्यात् गर्दभाण्डे कन्दरालअमर० का 2 वर्ग 4-4] [ अमर० का० 2 वर्ग 4-43] 25 क्रमुकः पट्टिका रोध्रो गवेधुका कर्षणी स्याद् धन्व० 3-177 पत्र. 129] 65 ] 217 क्रियावाचित्वमाख्यातुं गाङ्गेरुकी नागबला [ धन्व० 1-284 पत्र. 65] 92 क्रोष्टुविन्ना सिंहपुच्छी गुग्गुलुः कालनिर्यासो [ अमर० का०२ वर्ग 4-93 ] 111 [ धन्व० 3-127 प० 120] 43 क्षिरिणी काञ्चनी क्षीरी गुडूच्यमृतवल्ली च [ धन्व० 1-240 पत्र. 56 ]175 [ धन्व० 11 पत्र. 4] 173 क्षीरवृक्षे हेमदुग्ध गुडौ गोलेक्षु विकृती [ धन्व० 5-86 50 186]2. [ शाश्वत० श्लो. 467] 31

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