Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ __] 193 हैमनिघण्टुशेषटोकान्तर्गतानां ग्रन्थान्तरावतरणानामनुक्रमः / 333 श्लोका दि पृष्ठम् प्रलोकादि कदली सुकुमारा च काकमाची ध्वाक्षमाची [धन्व० 4-75 50 148] 89 धन्व० 4-21 प० 138] 191 कपित्थोऽथ दधित्थश्च काकादनी काकपीलुः __ धन्व 2-102 50 90] 36 ____[धन्व० 4-27 प० 139] 160 कमलं श्वेतमम्भोज काकोदुम्बरिका फल्गु_१७७ धन्व० 5-88 50 187] करजो नक्तमालश्च काम्पिल्यकोऽथ रक्ताङ्गो धन्व. 5-107 प० 191] [धन्व० 3-138 प० 122] 85 करमर्दकमाविग्नं कारवेल्ल कटिल्लं स्या[धन्व० 5-102 प० 190 करीरं गूढपत्रं च कालमेषी कृष्णफला _[धन्व० 5 99 प. 189] [अमर० का० 2 वर्ग 4-96] 121 कर्कशाख्यः करम्भः स्यात् कालागुर्वगुरु स्यात् तु [अमर० का 2 वर्ग 6-127] 15 क—रको गन्धमूलो काशः काण्डेक्षुरुद्दिष्टः [धन्व० 3-94 10 114] 140 [धन्व० 4-130 50 160] 200 क—रको द्राविडकः काश्मयः काश्मरी हीरा [अमर० का० 2 वर्ग 4-135] 140 [धन्व० 1-117 प० 28] 54 कर्णिकारो राजवृक्षः कासमर्दोऽरिमर्दश्च [धन्व० 1-221 प० 53] 56 धन्व० 4-118 प० 157] 188 कर्पासी बदरः प्रोक्तो [माला ] काष्ठेक्षुस्तु स्वल्पकाण्डो वाचस्पति ] 201 कर्पूरः शीतलरजः किराततिक्तको हैमः [धन्व० 3-31 पत्र. 101] धन्व० 1-33 प० 14] 126 कलायः खण्डिकः प्रोक्त किंशुको वीतशोकश्च [धन्व० 5-161 प० 203] 52 कलिकारी तु हलिनी कुङ्कुमं रुधिरं रक्त[धन्व० 4-9 प० 135 / / धन्व० 3-12 प० 95] 129 कल्याणकश्च विज्ञेयः कुचन्दनं पतङ्ग च धन्व० 3-6 प० 94] 17 काकजङ्घा ध्वाङ्क्षजङ्घा कुञ्चिका चोपकुञ्ची च - [धन्व० 4-23 प० 138] [धन्व० 2-59 प० 81] 183 काकजम्बूर्मेघवर्णा कुटजः कोटजः कोही [धन्व० 2-13 पत्र. 71] 12 काकनासा ध्वाङ्कनासा कुठेरकस्तु वैकुण्ठः [धन्व. 4-25 प० 139] 147 [धन्व० 5-54 50 145] 123

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