Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ हैमनिघण्टुशेषटीकान्तर्गताः संस्कृतशब्दयुता लोकभाषाशब्दाः। 319 'कूष्माण्ड--कूष्माण्डक कर्कारु [कर्कारुस् टी.] / कालिङ्गी - कालिङ्गी [ कलिङ्गी पु० नि० ] बहुपुत्रिका 361 / बिणि-तुम्बी पिण्डफला इक्ष्वाकु तिक्तबीजा तिक्तबीजः पु० महाफला अलाबू ] अलाम्बू पु.] क्षत्रियवरा कटुकालाबुनी [कटुकालाम्बुनी पु० ] 362 / चीभडी--चिमिटी त्रपुसी बालुकी एरुि व्याडपत्रिका ऊर्वारुः [ ऊर्वारु पु० ] कर्कटी मूत्रफला राजादनी लता 363 छर्दनी विपाण्डु पक्वचिभडी-स्फुटी [ स्फटी पु. ] "जीवक-कूर्चक शृङ्गक सजे दीर्घायुस् कूर्चशीर्षक 364 मङ्गल्यनामधेय जीवक [प्रजीवक नि०] प्रियजीवक ह्रस्वाङ्गक मधुरक प्राणक चिरजीविन् 365 'पुष्करमूल-पुष्करमूल मूल वीर [ चीर पु० ] पुष्करनामक पौष्कर पुष्करजटा काश्मीर पद्म वर्णक [ पद्मकर्णक पु० ] 366 / जहारि-बस्तगन्धा [ मस्तुगन्धा नि० ] सुगन्धा खरपुष्पी [ गन्धा खरपुष्पा पु० नि० ] शक. म्भरा कबरी [ कबरी नि० ] बर्बरी तुङ्गी [ चुङ्गी नि० ] पूतिमयूर 367 / गोल्ह-टिडूरी-बिंबी--बिम्बी रक्तफला गोल्हा प्रवालफलघोषिका ओष्ठोपमफला तुण्डी तुण्डिका पोलुपर्णी 368 / 'रोहीस--रोहिष श्यामक [ कामक नि० ध्यामक पु० ] पौर पूतीक [ पौरभूतीक पु. भूतीक नि. ] भूरि कत्तृण [ भूतिक तृण पु. भूतिकतृण नि० ] सौगन्धिक देवजग्ध शकल [ शकलि पु० नि० ] याम पुदगल 369 गन्धतृण--मूस्तृण [ भूतृण पु० ] रौहिष [ रोहित पु० नि० ] छत्रः अतिच्छत्रः [ छत्राति च्छत्रकम् पु०नि० छत्रातिच्छत्रम् टी.] कुटम्बकः [ कुटुम्बकम् पु. नि० 1 प्रतीक भूरि पालन [ भूतीक भूतपालघ्न पु.] मालातृण सुगन्धिक [ माला तृण सुगन्धिक पु० 370 / डाभ--दर्भ दभ्र [ दस्र पु० ] खर बहिं वीर [बर्हिवारा पु० बर्हि वारा नि० ] सूची कुथ कुश सौरिन् [ सारी नि० ] वानीरज गुन्द्रः [ गुन्द्रा पु० नि० ] पवित्र कुतुक [ कुतुप पु० कतस नि० ] 371 / "कासु--काश इक्षुगन्ध [ इझुगन्धा पु० नि० ] इर्धाकाण्ड इमामलपुष्पक [ चाभरपुष्पक पु. नि.] वायसेक्षु पोटगल कासेक्षु [काषाक्षु पु०] कोकिलाक्षक[ कोकिनां क्षक नि० ] 372 / उलप-उलप बल्वजाः वाल: केशिन् [ बल्वज बालकेशिन् पु. नि.] दृढलता / "गांडउ-सेलडी--इक्षु रसाल गण्डीरी गण्डकिन् खगपत्रक [ क्षुद्रपत्रक नि• असिपत्रक टी. 373 / / 1. (1) कोलु (2) भूरुं कोढुं // 2 कलीकडी // 3. कडवी तुंबडी // 4. चीभडी // 5. अष्टवर्गता दिव्यवनस्पतिः // 6 पोकरमूल // 7. (1) कानफोडी (गु०) ( 2 ) लवणी ( गु० ) ( 3 ) आढियाकरण (पंचमहालप्रदेशे ) ( 4 ) हुरहुर (हिन्दी) / 8 (1) टिंडोळां (2) घीलोडो // 9, रोहिसो // 10. डाभ // 11. कासडो // 12. सेलडी //

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