Book Title: Nighantu Shesh
Author(s): Punyavijay
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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________________ हैमनिघण्टुशेषटीकान्तर्गताः संस्कृतशब्दयुता लोकभाषाशब्दाः / 311 बानउ-अमिलात अम्लात अपरिम्लान महासहा रक्तपुष्प कुरबक [ कुरुबक नि० कुरक पु० ] पीतपुष्प कुरण्टक [ कुरण्डक टी.] 245 / 'सहचर-सैरेयक [सैरीयक टि० ] सहचर झिण्टी सहाचर / रक्तसहचर-कुरबक / पीतसहचर-कुरण्टक 246 / नीलसहचर-आर्तगल दासी बाण ओदनपाकी / *किङ्किरात-किङ्किरात किङ्किराट पीतभद्र [पोतभद्रा पु० ] प्रलोभिन् [ प्रलोलिन् पु० ] 247 / 'चित्रक-चित्रक वल्लरी व्याल पाठीन दारुण कुट ज्योतिष्क जरण आन्याख्य वलिन द्वीपिन् पाठिन् [वलिनथिन् पिपाठिन नि.] 248 / वासन्ती-वासन्ती प्रहसन्ती सुवसन्ता वसन्तजा सेव्या अलिबान्धवा शीतसंवासा शीकरा [ शीतला पु० नि० ] 249 / गुली-नीली श्रीफलिका काली [ काला पु. नि०1 दोला मेला विशोधनी तूणी तुत्था [तुच्छा पु० नि० ] भारवाही रजनी मधुपर्णिक। 250 द्रोणी क्लीतकिका ग्राम्या[ग्रामीणेया टी०] नीलकेशी महारसा। 'दमन उ-दमन ब्रह्मजया मुनि दान्त ऋषिपुत्रक 251 गन्धोत्कट पुण्डरीक पाण्डुराङ्ग [पाण्डुराग पु. नि० ] तपस्विन् / “धत्तूरउ-धतूर धूर्त धुत्तूर कितव देवता शठ 252 घण्टापुष्प तलफल मातुल कनकाय उन्मत्त मदन धत्तूरफल-मातुलपुत्रक [मातुलपत्रक नि०] 253 / 'शङ्खाहूली-शङ्खपुष्पी क्षीरपुष्पी [क्षीरपुष्पा पु.] शिवा ब्राह्मी किरीटिनी [शिवब्रह्मी पु. शिव. ब्रह्मकिरीटिनी नि० ] मधुपुष्पी मधुगन्धा शङ्खाह्वा शङ्खमालिनी 254 / धूसरच्छदना श्वेतपुष्पी वनविलासिनी / 'कचूर-चूर द्राविडः [द्रविडः नि० द्राविड़ पु.] काल्य वेधाय्य गन्धमूलक 255 / १°अजमोद-अजमोदा मोचा [मस्तु नि०] मयूर लोचमस्तक खराश्वा कारवी बस्तगन्धा हस्तिम यूरक 256 दीप्य वल्ली ब्रह्मदर्भ [ब्रह्मदर्भा नि०] लोचमर्कट / "यवानि-यवानी उग्रगन्धा यमानी [यमनी नि०] यवसाया [यवसाह्वयः पु. नि.] 257 / १२सहदेवी-सहदेवा [सहदेवी नि.] दण्डोत्पला गोवन्दनी [गोवन्दना पु० नि०] / श्वेतपुष्पा सहदेवी-गन्धवर्णा / अरुणपुष्पा सहदेवी-विश्वदेवा 258 / पीतपापडा -पर्पटक वरतिक्त रजक रजनामक [रजः कवचनामक पु. नि.] / "गोभी गोजिह्वा [गोजिका नि०] शृङ्गबेरी दार्विका भूमिकालिका 259 / / 1-2. कांटासेळीयो // 3. चित्रो / / 4 सुगन्धवल्लीविशेषः / 5. गळी // 6. (1) डमरो (2) नागदमणो // 7. धतूरो // 8. (1) शंखाहोली (2) शंखावली // 9. कचूरो // 10. बोडीअजमो॥ 11 अजमो // 12. सेदरडी॥ 13, खरसलीयो पीतपापड़ो॥ 11 (1) गळजीभी (2) भोंपाथरी //

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