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अध्याय ८८
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"earपुर में प्रवेश "
लखतर से विहार करके वीरमगाम, रामपुरा होते हुए आपने भोयणी ग्राम में आकर श्री मल्लिनाथ प्रभु के दर्शन किये। वहां से विहार कर मांडल, दशारा और पंचासर होते हुए संखेश्वर ग्राम में आये यहां पर विराजमान श्री संखेश्वर पार्श्वनाथ के दर्शन करके चंडावल, समली और गोचीनार होते हुए शहर राधनपुर में पधारे। यहां पर अनुमान १५०० घर श्रावकों के और २५ जिनमन्दिर हैं। आपश्री के पधारने की खबर पाते ही वहां की जैन जनता में खुशी की लहर दौड़ गई और सबने मिलकर बड़ी धूम धाम से आप श्री का प्रवेश कराया। यहां पर बड़ोदे शहर के रहने वाले युवक छगनलाल को उसके आग्रह और श्रावकवर्ग की पूर्ण अनुमति से विक्रम सम्वत १६४४ की वैसाख शुक्ला त्रयोदशी बुधवार के दिन साधुधर्म में दीक्षित करके "श्री वल्लभविजय" यह नाम रक्खा।
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