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नवयुग निर्माता
समय आजकल की तरह बाहर देशावर में जाने आने की प्रवृत्ति नहीं थी। और साधुओं में भी वहांराधनपुर में प्रायः कोई विरला ही जाता था और वर्षावास करता था । आचार्य श्री और उनके शिष्य समुदाय के वहां पधारने और उनकी ज्ञानाभ्यास और क्रियाशीलता में सतत प्रवृत्ति का वहां के श्रीसंघ पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा, जिसके फलस्वरूप वहां के धार्मिक वातावरण को आशातीत शुद्धि और प्रगति मिली ।
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