Book Title: Navyuga Nirmata
Author(s): Vijayvallabhsuri
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 408
________________ जीरा में प्रतिष्ठा महोत्सव नगर बीच परवेश ही कीना, आन बैठक उत्तराए ||६|| चौकी ऊपर न ही बैठे, मंगलीक आख सुनाए । भरी सभा में दीनानाथ और खुशीराम गुण गाए ||७| जीरा में तैयार हुए नवीन जिन मन्दिर की प्रतिष्ठा के निमित्त ही आचार्यश्री का पधारना हुआ था, प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त मार्गशीर्ष शुक्ला एकादशी [ मौन एकादशी ] का निश्चित था । उस रोज अंजनशलाका के लिये बाहर से आये हुए कई एक जिन बिम्बों की अंजनशलाका [ मंत्र पूर्वक संस्कार ] करके नवीन मंदिर में श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ की विशाल भव्यप्रतिमा को विधिपूर्वक गादी पर प्रतिष्ठित किया गया । Jain Education International ३७७ इस शुभ अवसर पर भरुच निवासी सेठ अनूपचन्द मलूकचन्द भी एक स्फटिक रत्न के जिनबिम्ब जनशलाका कराने और दर्शन करने के लिये अपने परिवार सहित आये हुए थे, इसी प्रकार प्रतिष्ठा के इस मौके पर अन्य नगरों के भी बहुत से गण्यमान्य व्यक्ति सम्मिलित हुए और प्रतिष्ठा का कार्य बड़े समारोह के साथ सुचारु रूप से सम्पन्न हुआ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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