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नवयुग निर्माता
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appointment together with the photographs and the biography of your remarkable life. Is it not possible for you to attend the Parliament in person It would give us great pleasure to meet you. At any rate, will you not be able to prepare a paper which will convey to the accidental mind, a clear account of the Jain faith which you so honourably represent? It will give us great pleasure and promote the ends of the Parliament if you able to render this service.
I send you several copies of my second report.
Hoping to hear from you soon and favourably, I remain, with fraternal regards,
Yours cordially,
John Henry Barrows Chairman
Committee of Religions Congress
भावार्थ -- यह अतीव हर्ष की बात है कि आपने इस सभा के सभ्य पद को स्वीकार कर लिया है। आपके फोटो तथा आपका अलौकिक जीवन चरित्र पहुंच गया । क्या आपका यहां पधार कर सभा को सुशोभित करना सम्भव हो सकता है ? आपके दर्शनों से हमको अतीव आनन्द प्राप्त होगा । जिस जैनमत का आप इतना महत्व बतला रहे हैं, क्या आप किसी प्रकार से एक ऐसा लेख तैयार कर सकेंगे कि जिसमें जैनमत का इतिहास और उपदेश का समावेश हो । आपका ऐसा निबन्ध आने से हमको बड़ा भारी हर्ष होगा और हमारे समाज की उन्नति का कारण होगा। हम अपनी दूसरी रिपोर्ट की कितनी एक नकलें आपकी सेवा में भेजते हैं " इत्यादि"
इस पत्र का उत्तर आचार्यश्रीने शाहू मगनलाल दलपतराम की मार्फत भेजा जिसका सारांश इस प्रकार था -
" मुनि महाराज को आपका पत्र पहुंचा, आपकी इच्छानुसार मुनि महाराज ने एक निबन्ध लिखना प्रारम्भ कर दिया है" मगर उनका परिषद् में संमिलित होना संभव नहीं हो सकता इत्यादि ।
गुरुदेव का स्वयं संमिलित न होना परिषद् वालों को कितना अखरा यह उनके भेजे हुए १२ जून १८६३ पत्र से पता चलता है। जो कि आचार्यश्री को शाह मगनलाल दलपतराम की मार्फत मिला । 'उसकी नकल निम्नलिखित है
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