Book Title: Navyuga Nirmata
Author(s): Vijayvallabhsuri
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 459
________________ ४२६ नवयुग निर्माता स्थानकवासी दीक्षा को छोड के दादा गुरुदेव के साथ जिन्होंने संवेगी दीक्षा ली और __ आपके शिष्य प्रशिष्य बने उनके नामस्थानक वासी नाम, संवेगी नाम, १ श्री विश्नचन्द जी श्री लक्ष्मीविजय जी २ ,, चंपालाल जी ,, कुमुदविजय जी ३ , हुकमीचन्दजी ,, रंगविजय जी ४ ,, सलामतराय जी ,, चारित्रविजय जी ,, हाकमराय जी रत्नविजय जी .. खूबचन्दजी संतोषविजयजी ,, घनैयालाल जी कुशलविजय जी , तुलसीराम जी प्रमोदविजय जी ,, कल्याणचन्दजी , कल्याणविजय जी १० , निहालचन्द जी ,, हर्षविजय जी ,, निधानमल जी हीरविजय जी ,, रामलाल जी कमलविजय जी ,, धर्मचन्द जी अमृतविजयजी ,, प्रभुदयाल जी ,, चन्द्रविजय जी १५ ,, रामजीलालजी ,, रामविजय जी १६ , चंदनलालजी , चन्दनविजयजी श्री दादा गुरुदेव के हस्तदीक्षित शिष्य प्रशिष्यादि के नाम१ श्री हर्षविजय जी ८ श्री कांतिविजय जी १५ श्री अमरविजय जी २,, उद्योतविजय जी ६, हंसविजय जी ,, अमृतविजय जी ३ , विनयविजय जी १०,, शांतिविजयजी ,, हेमविजय जी ४, कल्याणविजय जी ११ ,, मोहनविजय जी १८ ,, राजविजय जी ५,, सुमतिविजय जी १२ ,, मानकविजय जी ,, कुंवरविजयजी ६, मोतीविजय जी १३ ,, जयविजय जी । ,, संपतविजय जी ७ ,, वोरविजय जी १४ ,, सुन्दरविजय जी , माणकविजयजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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