Book Title: Navyuga Nirmata
Author(s): Vijayvallabhsuri
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 449
________________ उपसंहार महा पुरुषों की पुण्य श्लोक जीवन गाथायें मानव जगत के लिये पथ प्रदर्शक होती हैं, उनसे मानव जीवन के नैतिक निर्माण को काफी सहायता मिलती है और जीवन में उपस्थित होने वाली विकट समस्या को सुलझाने में वे अच्छे शिक्षक का काम देती हैं। इसी दृष्टि से यह प्रयास किया गया है । परन्तु यह काम आज से बहुत पहले होजाना चाहिये था जो कि कई एक अनिवार्य प्रतिबन्धों से नहीं हो सका। इसके सिवा आचार्यदेव के जीवन की बहुतसी घटनाओं का उल्लेख करना रहगया, जो वि पहले तो स्मृति पथ से ओझल रहीं, और अब मानस पट पर चित्रित होरही हैं । उनको भी संभवत परिशिष्ट में स्थान दिया जा सकता है । इसमें सन्देह नहीं कि आप जैसी विभूतियें संसार में कभी कभी उत्पन्न होती हैं और बहुत कम मात्रा में होती हैं इसलिये पाठकों से साग्रह निवेदन है कि विश्व की इस महान विभूति की जीवन गाथा क मनोवृत्ति से अवलोकन करने का यत्न करते हुए अपने मानवजीवन को प्रगति की ओर लेजाने का श्रेय भी प्राप्त करें । Jain Education International For Private & Personal Use Only गुरुचरण सेवीवल्लभ सूरि www.jainelibrary.org

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