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फिर चूडा गांव में
अठाई महोत्सव सानन्द समाप्त होने पर प्राचार्य श्री ने विहार कर दिया। वहां से बोटाद,लीबड़ी और बढ़वाण होते हुए आप लखतर में पधारे । लखतर राज्य के दीवान श्री फूलचन्द कमलसी थे और वे श्रावक थे। उनके द्वारा आचार्य श्री के पधारने का पता जब वहां के दरबार को लगा तो वे भी दीवान साहब को साथ लेकर आपश्री के दर्शनों को पधारे । आते ही आपने महाराज श्री को हाथ जोड़ नमस्कार किया और उत्तर में आचार्य श्री की ओर से धर्म लाभ मिला । लखतर के दरबार अच्छे विचारशील पुरुष थे, आचार्य श्री के साथ धर्म सम्बन्धी वार्तालाप में आपको बहुत रस मिला। और आचार्य श्री के सारगर्भित मार्मिक उपदेश से आप बहुत प्रभावित हुए । कुछ दिन और ठहरने की आपने प्राचार्य श्री से प्रार्थना की परन्तु आपने राधनपुर पधारने का विचार कर रक्खा था इसलिये आप अधिक दिन नहीं ठहरे।
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