Book Title: Nandanvan Kalpataru 2016 11 SrNo 37 Author(s): Kirtitrai Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti View full book textPage 9
________________ सकलसत्त्वहिताय जिनाय ते भगवते ऋषभाय नमो नमः ।।५।। स्वसुतबाहुबलिं तनयामुखाद् "गजत उत्तर वीर" वचस्त्विदम् । प्रहितवान् भगवान् य इनाय ते भगवते ऋषभाय नमो नमः ॥६॥ समसहस्रतपश्चरणार्जितं, विमलकेवलरत्नमुपाहरत् । स्वजननीकरयोर्य उपांशु ते, भगवते ऋषभाय नमो नमः ॥७॥ भविकलोकचकोरहिमांशवे, दुरितसन्तमसौघखरांशवे । शमवते भवतेऽनुपमाय ते, भगवते ऋषभाय नमो नमः ॥८॥ इति मया गुरुदेवपदाम्बुज भ्रमरहेमसुधाकरसूरिणा । प्रथमतीर्थपतिः स्तुतिगोचरो विहित ईप्सितदानसुरद्रुमः ॥९॥Page Navigation
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