Book Title: Nandanvan Kalpataru 2016 11 SrNo 37
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
View full book text
________________
(४) तारा वानरकुलहारा सतिखसुतारा किस्किन्ध्यास्कन्धधरार्याऽनुजनिजभार्या अग्रजविनिर्जिताऽजिताऽकलुषिता जितसप्तशालबलबाली पतिताऽपतिता । राघवसुग्रीवमेलपुलकिता बालिविषवल्लिच्छेदनोल्लसिता मुक्ता दीप्ता राज्यश्रीसम्राजीज्या सतिसीमन्तिनिशिखरे सा तारा तारा ! ॥
(५) मन्दोदरी वैश्रवणवधूटी लङ्कालङ्कृतिरुद्दामहेमसम्राजी हृदीशभाजी राजीवतल्लजा सत्सुतिनीज्या शिञ्जिनिकृपाणनिष्कृपणा पतिमर्यादा । रावणवनितार्या शिवैकचर्या चारुचरितसुकृतिसपर्या कुलिनी वर्या राज्यवैजयन्ती पतिमानवती जयत्यमन्दा मन्दोदरिसाध्वी सुसती ! ॥
(६) सावित्री सत्यवदेकरमा रमणी परमा परमात्मचिद्रामवामाऽऽनन्दनधामा वामविधिर्जहार हृदयं हारं सत्यमसत्यः सर्वहन्मृत्युः स सदा हि विवशः । निष्कर्षन्तं तं बलादात्मानं चिकीर्षु स्वपाशनिबद्धं पप्रच्छ यमं नियतिं मृत्योर्नवदिव्यजीवने जयति मृत्युञ्जयिनी सती श्रीसावित्री ॥
(७) गार्गी वाचक्नवी कविर्गवीनां हन्त रविः शशी कोमलताश्री ऋतम्भरर्षिः याज्ञवल्क्यसहिताऽद्वैतसुमहिता ब्रह्मोपनिषत्सूदात्ता मनुसमाहिता । जिज्ञासापरमा भिन्नसन्तमा परमप्रश्नरमा प्रश्नोद्दामा इच्छाज्ञानक्रतुवदातसेतुः सत्यसन्तानतन्तुर्गार्गी ब्रह्मिष्ठा ॥
(८) भामती
विद्यावाचस्पतिवाचस्पतिपथिकुमुदिनिशशिधवलज्योत्स्ना विमृदिततृष्णा पवित्रतामूर्तिः शान्ता प्रीतिः क्षपितकषाया ब्रह्मण्यस्फूर्ति तिः । शङ्करशरणाऽप्यद्वैतविहरणाऽवाप्तानवाप्तधीजरणाऽद्वयधवरमणा रमणीशिरोरत्नभूतिौतिकवासनेन्द्रियजेत्री सती भामती ॥

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122