Book Title: Nandanvan Kalpataru 2016 11 SrNo 37
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 16
________________ ओं ऐं ह्रीं क्लीम् ॥१॥ चामुण्डायै ॥२॥ विच्चे नित्यम् ॥३॥ वन्दे वाणीम् ||४|| वन्दे शक्तिम् ॥५॥ वन्दे लक्ष्मीम् ॥६॥ सृष्टि ॥७॥ वाङ् मे वक्त्रे ॥८॥ श्री गेहे ॥ ९ ॥ धर्मे बुद्धौ ॥१०॥ कुर्याद् वासम् ॥११॥ त्यै विद्या ॥१२॥ भक्त्यै ज्ञानम् ॥१३॥ भूत्यै मानो ॥१४॥ गीत्यै काव्यम् ॥१५॥ श्रुत्यै यत्नः ॥१६॥ मे सम्भूयात् ||१७|| लोकानव्यात् ॥१८॥ श्रीशतकम् संस्कृतस्यैकाक्षरीयच्छन्दः - प्रा. अभिराजराजेन्द्रमिश्रः ९ मत्काव्येऽन्यः ॥१९॥ नो कोऽप्यास्ते ||२०| प्राप्तोऽप्राप्तः ॥२१॥ सोऽहं सोऽहम् ||२२|| सोऽहं निन्द्यः ||२३| सोऽहं वन्द्यः ||२४|| अर्होऽनर्हः ॥२५॥ गर्योऽगर्ह्यः ॥२६॥ ग्राह्येोऽग्राह्यः ॥२७॥ दण्ड्योऽदण्ड्यः ॥२८॥ पूज्योऽपूज्यः ||२९|| बद्धोऽबद्धः ॥३०॥ मुक्तोऽमुक्तः ॥३१॥ यः कोऽपि स्यात् ॥३२॥ नाऽन्यः सोऽसौ ||३३|| सोऽहं सोऽहम् ॥३४॥ न्यग्रोधोऽहम् ॥३५॥ अश्वत्थोऽहम् ॥३६॥

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