Book Title: Nandanvan Kalpataru 2012 11 SrNo 29
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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ऋतुगीतानि मुनिधुरन्धरविजयः
(१) वसन्तः
विहरति मलयपवनलहरी कुसुमितकुञ्जनिकुञ्जनिवासी, कुसुमधनुःप्रहरी........... कोकिलकुलकलकूजितकलिते मञ्जुलगुञ्जारवसंवलिते मञ्जरिपिञ्जरिताम्रसुललिते, विरचितचारुचरी....... मधुनिःष्यन्दरचितमधुपर्कः उन्मदसुरभिहताखिलतः विकसितसुमसौरभसम्पर्कैः, सुरभितशैलदरी.......... नीलनवलतरुदलधूतवसना भ्रमराकुलसुमराजीरसना धवलकुन्दकुसुमस्फुटदशना, किं वसन्तशबरी ?...... कः स्वामी को वा न्विह भृत्यः ? मधुरसपानविस्मृतनिजकृत्यः विलसति नगरजनः कृतनृत्यः, उन्मदचित्तकरी....... विहरति मलयपवनलहरी....
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