Book Title: Nandanvan Kalpataru 2012 11 SrNo 29
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 27
________________ हाइकुकाव्यानि डॉ. हर्षदेवमाधवः - कुर्वन्ति कति निर्जला एकादश्यस्तूषार्ता वृक्षाः ? ॥ चटकाः ! शान्ता लावाद्रवाः । कुर्वन्तु नीडरचनाम् 9 अन्नं न प्राप्तम् । एकादश्युपवासः शुने दशम्याम् ॥ - सर्वेऽपि मार्गाः प्रतिनिवर्तन्ते नु श्रान्ताः स्वगेहम् ॥ - अतिथिर्भूत्वा नववत्सरानन्दः आगतो गृहम् ॥ 0 लघुके बिले पिपीलिका-निर्मितं ब्रह्माण्डसुखम् ॥ - निद्रां हरति मधूकपुष्पगन्धः पिक-स्प्रेण ॥ 8, RajTilak Bunglow, Nr. Abadnagar, Bopal, Ahmedabad-380058 १८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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