Book Title: Nandanvan Kalpataru 2012 11 SrNo 29
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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३. पुत्तलिका
बाल्यकाले क्रीडिता मया पुतलिकाक्रीडा, इदानीमहमपि पुत्तलिकीभूता, आत्महिता प्रणयरहिता सुखदुःखयोः समभावा सङ्केतैः नृत्यरता सदैव कृत्रिमस्मितयुक्ता ॥
.
यदा जागरिष्यन्ति पुत्तलिकाः तदा नंक्ष्यन्ति सर्वे सूत्रधाराः स्वसूत्रैः सह ॥
0 चित्रिताः पुत्तलिकाः
सर्वा भवन्ति मनसा वर्णहीनाः ॥
0 पुत्तलिका नृत्यति
सूत्रं विनाऽपि कदाचिदेकान्ते ॥
मालादेवी महोल्ला
वार्ड नं. ३१, बारां (जि. बारां, राजस्थान) ३२५२०५
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