Book Title: Na Janma Na Mrutyu
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 38
________________ के स्वामी हो, जिसको एक बार नहीं, सौ-सौ बार भी चिता पर जला दिया जाए, लेकिन वह नहीं जलती। पांच फुट की यह काया मिट्टी से बनी है और मिट्टी में मिलकर मिट्टी हो जानी है। शायद आप लोगों को पता हो कि महात्मा गांधी की हत्या की गई, तो कोहराम-सा मच गया था। भले ही हत्या जायज नहीं थी, लेकिन हत्यारे गोडसे की नजर में कुछ भी नाजायज नहीं था। महात्मा गांधी का बेटा गोडसे के पास जेल में गया और उससे कहा कि वह नहीं चाहता है कि अहिंसक व्यक्ति की हत्या करने वाले को हिंसक तरीके से फांसी दी जाए, इसलिए तुम न्यायाधीश के समक्ष अपनी गलती कबूल कर लो, तो मैं पूरी कोशिश करूंगा कि तुम्हें फांसी की सजा न हो। निवेदन के प्रत्युत्तर में गोडसे ने कहा-मुझे नहीं लगता कि तुम गांधी के निकटस्थ हो। मेरे मारने से न गांधी मरा है और न मुझे फांसी लगने से मैं मरूंगा। केवल देह धराशायी होगी, देह जलेगी। गांधी कल जीवित था और आने वाले कल को भी जीवित रहेगा। जिस काया से इंसाफ और नाइंसाफ का खेल खेला जा रहा था, मैंने मात्र उस काया को गिराया है। वह काया गिर जानी चाहिए। यह जीवन का परम सत्य है कि काया गिरती है, तुम थोड़े ही गिरते हो। इसीलिए अष्टावक्र हमको कुरेदकर पूछना चाहते हैं कि आत्मा को अविनाशी-अजन्मा जानने के बावजूद तुझ धीर-पुरुष को धन में आसक्ति क्यों हो रही है? मनुष्य के मन की तृष्णाओं में, आसक्तियों में दो मुख्य हैं-पहली, धन की और दूसरी काम की। आदमी अपने जीवन में केवल दो ही चीजों के इंतजाम में लगा रहता है, धन और वासना-पूर्ति के साधन में। काम का संबंध है, तन से और धन का संबंध है, मन से। जो आदमी दिन-रात धन के पीछे लगा हुआ है, वह मन के बहाव में बह रहा है और जो आदमी काम की तरंगों में घिरा है, वह निश्चित तौर पर तन का होकर जी रहा है। अष्टावक्र यह बोध देना चाहते हैं कि न तुम तन हो, न मन हो, तो फिर धन और काम तुम्हारा कहां से हो जाएगा? धन संग्रह के लिए नहीं है, उपयोग के लिए है। यह तो जीविकोपार्जन का साधन है। इसके पीछे पागल बने मत घूमो। धन कमाने के चक्कर में आदमी सुबह से शाम तक लगा रहता है, धोबी के गधे की तरह घर से घाट और घाट से घर तक। इतना पैसा कि चैन की नींद भी नसीब नहीं होगी। कुछ तो सीमा बांधो, कुछ तो संयम बरतो। उतना ही कमाओ, जितना जीते-जी उपयोग कर सको, सात पीढ़ियों की चिंता छोड़ दो। ___धन उपभोग की वस्तु है, उसका उपभोग करो। जीवन में जो करना चाहते हो, अगर धन उसमें सहायक हो, तो धन का उपयोग कर लिया जाए। धन कतई 37 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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