Book Title: Na Janma Na Mrutyu
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 127
________________ लक्ष्य बनाएं, पुरुषार्थ जगाएं - श्री चन्द्रप्रभ श्री लक्ष्य पूरा करने के लिए अपनी समस्त शक्तियों द्वारा परिश्रम करना ही पुरुषार्थ है। पतंजलि महावीर और बुद्ध, राम और रहीम, मीरा और मंसूर जैसे अवतार पुरुषों का भी एक लक्ष्य था, उसी तरह आइंस्टीन और एडीसन, शेक्सपीयर और मैक्समूलर, नोबल और नेलसन ने भी अपने जीवन में महान लक्ष्य बनाए और संपूर्ण पुरुषार्थ के साथ उसे प्राप्त करने में जुट गए। उन्होंने हर हाल में सफलता प्राप्त की और वे शिखर पुरुष बन गए । Jain Education International लक्ष्य बनाए. पुरुषार्थ जगाएं वास्तव में यह पुस्तक लक्ष्य यानी मंज़िल के निकट से निकटतर तक ले जानने के तमाम रास्ते बताती है और रास्तों में आने वाली सभी कठिनाइयों को दूर करने के तरीके भी बताती है । यह एक ऐसी मार्गदर्शिका, ऐसी सहयात्री है, जो आपकी उंगली पकड़ कर सफलता की ओर ले जाती है I हो पुस्तक में लक्ष्य प्राप्ति के 6 चरण बताए गए हैं। पहले चरण में मन के बोझ को उतार फेंकने की सलाह दी गई है, यानी हर तरह के दबाव और तनाव से मुक्त हो जाएं। दूसरे चरण में दूसरों के दिलों पर राज करने और तीसरे चरण में प्रतिक्रियाओं से परहेज़ करने का मशवरा दिया गया है, जिससे आप में शांति, उत्साह और आनंद बरकरार रह सके । चौथे चरण में कहा गया है कि भय का भूत शरीर और मन को खा जाता है और निष्क्रिय बना देता है, अतः इससे पीछा छुड़ाना अनिवार्य है। अगले पांचवें और छठे चरण में स्वस्थ सोच को अपनाने और जीवन-दृष्टि को सकारात्मक बनाने का परामर्श है । लेखक का कहना है कि जो इन चरणों से गुजर गया, मानो वह अपना लक्ष्य पा गया । डिमाई आकार • पृष्ठ : 96 मूल्य : 48/- • डाकखर्च : 15/ ० For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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