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मुंहता नैणसीरी ख्यान मांग लीधी' । घोड़ा ४०००० ले ऊपर आयो । निजीक आया तठं दुरदास परवतसिंघरो पूरवियो नै सीसोदियो नेतो भाखरोत वे वांस मेलिया था, सु मानसिंघरो डेरो बनास ऊपर गांव मोळेळा हुवो छ । ने रांणारो डेरो लोहसिंगे हुवो छै। उदैपुरसूं कोस. ९ उत्तरनूं । कोस ३ रो वीच छै । तद मानसिंघ सिकार-रमतो' असवार हजार १००० रांणारा डेरासू कोसेक' आयो नै आपरो' डेरो कोस २ इक बांस रह्यो, तरै' इण दावसूं दीठो । वडी घातमें आयो । राणानं जाय कह्यो "वेगा हुवो, ज्यूँ वैठा छौ त्यूं चढो । मानसिंघ बडी घातमें 4 | चाळीस हजार घोड़ा वांस मेलनै हजार असवारV आयो । रावळो वडो भाग । केई मार लांछां केई भाज जाय छै16 ।" तद रांणेजी चढणरी तयारी करी । पण झाले वीदे चढण न दिया। सवारै7 खंभणोर वनासरै ढाहै18 वेढ9 हुई । रांणा कनै असवार हजार ९००० तथा दस हुता । कछवाहै बेढ जीती। रांणें हारी । इति संपूर्ण ।
अथ मेवाड़रा भाखरांरी20 वात लिख्यते
रूपजी-वासरोड़ा देसरै फळसै2 छै । रूपजीसू कोस ३ जीलवाळो दिखणन23 छै। जीलवाळाथी कोस ३ रीछेर उगवणनूं छ । रीछेर वाघोरारी खांभ24 छै । जीलवाड़ा नै रीछेर. वीच अमजमाळरो वडो भाखर छै । लांवो कोस ५ छै । उलै-कांनी25 कैलवो छ । वाघोररै आगै घाटो गांव छै। तठा आगै26 भोरड़ारो पहाड़ लांबो कोस ५ उत्तर-दिखण छै । त? भोरड़ नै मछावळा वीच
1 सेना मांग कर ली। 2 दोनोंको । 3 पीछे । 4 भेजा था। 5 शिकार खेलता हुआ। 6 कोस भर निकट आ गया। 7 अपना (उसका) । 8 दो कोस भर 1 9 तव । 10 रसदासने देखा कि मानसिंह अच्छे दावमें आ गया है । 11 आक्रमण कर दें ऐसी स्थिति में आ गया है । 12/13 शीघ्रता करो । जैसे बैठे हो वैसे ही चढ़नेकी तैयारी करो । 14 मानसिंह बड़ी घातमें आ फंसा है । 15 श्रीमान्का बड़ा भाग्य ! 16 कइयोंको मार लेते हैं और कई भाग जाते है । 17/18/19 दूसरे दिन प्रातःकाल खमनोरके पास बनास नदीके तट पर युद्ध हआ । 20. पहाड़ोंकी 1 21/22 रूपजी-वासरोड मेवाड़ देशको सीमा-द्वार पर स्थित . है। 23 को 1 24 पर्वतको मोड़में आया हुआ है। 25 इस ओर । 26 वहाँसे आगे।