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वात एक गोहिलां खेड़रा धणियारी
. खेड़' गोहिलारी वडी ठाकुराई थी। राजा मोखरो धणी छ । तिणरे बेटी बूंट पदमणी थी । तिगरी वात खुरासांणरै पातसाह सांभळी तरै तिण ऊपर घोड़ा लाख तीन विदा किया । तिकै चढ़ खेड़ आया । तुरके खेड़ सहर घेरियो । गोहिल पिण' तद जोर था। दिन ४ सारीखी वेढ़ हुई । पछै गोहिलै जमहर' करनै मैदान आय वेढ़ हुई; तळाव बहवनसररै आगोर तठे घणा गोहिल कांम आया; घणा तुरक काम आया; नै घोड़ा पाछा गया ।
फौज प्रावतां पैहली बहवन कठेही गयो थो सु ऊबरियो,10 .. बूट पिण ऊबरी11 । राजा मोखरो काम आयो । पछै मोख रारो बेटो - बहवन टीकै बैठो । साथ घणो काम आयो । ठाकुराई निबळी पड़ी।
तरै बाहड़मेररै धणियां गोहिल दबाया13 । गांव नाकोड़े गढ़ पंवारै ... कियो । धरती लेणरो विचार कियो तरै बहवन मंडोवर हंसपाळ
पड़िहार धणी थो, तिणनूं कहाड़ियो15-''म्हां कनां पंवार धरती ले छै । के तो म्हारी ऊपर करो नहीं तरै पछै थांनूंही लागसी ।" तरै पड़िहारै कह्यो-'थारै18 बेटी पदमणी बूंट छै, तिका परणावो तो थां सांमल हुवां ।” तरै इणां आपरै गम देखनै बूंट परणावणी कबूल की । बूंट तो वरजियो भाई. पण इणै वात मांनी नहीं । तरै पड़िहार हंसपाळ चढ़ खेड़ आयो । तिण समै पंवारै गायां लीवी।
- I खेड़ मारवाड़ के मालानी प्रान्त में लूनी नदीके किनारे वालोतरासे पांच मील
पश्चिममें है। राठौड़ सीहा और आसथांनने सर्वप्रथम यहीं अपना राज्य कायम किया था। -. अंव खेड़ खंडहरोंके रूपमें रह गया है। 2 राजा मोखरा वहांका स्वामी है, उसके बूट नामकी
एक बेटी जो पद्मिनी थी। 3 सुनी। 4 तुर्कोने खेड़ शहरको घेर लिया। 5 भी। 6 शक्तिशाली। 7 जौहर । 8 तालाबके पासकी वह भूमि जिसका पानी तालावमें आता है। 9 कहीं भी। 10 बच गया। II बूट भी बच गई। 12 राज्य निर्बल पड़ गया। I3 तब वाड़मेरके स्वामियोंने गोहिलोको दवाया। 14 नाकोड़ामें पँवारोंने गढ़ वनवाया।
I5 उसको कहलवाया। 16 हमारे पाससे । 17 या तो हमारी सहायता करो नहीं तो ये -- ..... पीछे तुमको भी सतायेंगे । 18 तुम्हारे । 19 तब इन्होंने अपनी परिस्थितिका विचार करके।
20 वूटने तो भाईको मना किया।