Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
सांखलो छोहिल राजपाळीत । तिरै वांसला रुणेचा ग्रांक ३ ।
४ पालणसी छोहिलरो ।
पातसाह ग्रायो थो, "
५ मेहदो ।
तिणसूं लड़ाई हुई । पातसाह भागो । नगारा
६ हंसपाळ |
७ सोढल ।
वीरम |
९ चाचग ऊपर मांडवरो
3
सांखला चाचग वीरमोतरो परवार, ग्रांक ६ |
१० रांगो सीहड़ चाचगोत' । निपट वड़ो रजपूत वो । तिरै पंगळी वेटी हुई | तिणरै पेट धारू ग्रानळोत वडो रजपूत हुवो' । कवित्त सीहड़
सीहड़रा वेटा
नीसांण पड़ा लिया * ।
तिणसूं सांखला नादेत
नीसांरगोत कहावै छे" ।
में मांमलो कियो तिण साखरो'
कांणजो कोपियो, लूस, ग्रमणेर लियंतो ।
1 0.
1
दुजड़ां 'हथो दुकाळ, रोस रोहिस रत्तो ॥ वाळ जाळ वोरवौ. भरम पहाड़ां भग्गो । मचकोडे मेवड़ो, वळं वधनोर विलग्गो ॥ वधनोर गांज " प्राडोवळो, तोड़े जड़ां तिलायली । सांखले रांण सुजड़ां हथै, भांजी "सीहड़ भायली ॥
११ सालो सीहड़रो ।
११ वछो सीहड़रो । ११ हंसो ।
११ जंतकरण ।
११ लूंणकरण ।
११ रतनसी ।
११ सुरजन । ११ देवराज ।
I जिसके पीछे वाले रुणेचा कहलाते हैं । 2 चाचगके ऊपर मांडवका वादशाह चढ़ कर आया था । 3 जिससे 1 4 नगारे और निशान खोस लिये । 5 इसलिये सांखले नादेत - नीसागेत कहलाते हैं। 6 रारणा सीहड़ चाचगका पुत्र ! 17 जिसकी कोखसे ग्रानलका : पुत्र घारू बड़ा राजपूत हुआ । 8 युद्ध । 9 उसकी मालीका | 10 कटारें । 11 बड़ा वीर । 12 नाश करके | 13 कटारें | 14 तोड़ दी ।

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