Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 355
________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ३४७ उठे मारियो ।* ऊदैरी बैर मांगळियांणीनूं आधांन' थो, सु धरमो वीठू इणांरो चारण ले नाठो पीहर । मांगळियांणी कीलू करणोतरी ... बेटी हुती, सु एकण-पग खींवसर आयो । उठे मांगळियांणी मैहराज जायो। ८ खींवो जसहड़रो। ८ वीरम खाबड़ियांणीरो। — ८ मैहराज मांगळियांणीरो । तठा पछै मेहराज वरस १४ तथा १५ रो हुवो, तरै आपरा भाई रजपूत भेळा करनै जांगळू ऊपर गयो । सुः जा ऊदानै मारनै ढाकसरीरा कोहर माहै नांखियो । घणो साथ मूंज ऊदारो मारियो । घणो लोही वुहो । लोहीरा वाहळा प्रोळरै बारै तांई अाया' । पैहली दहिया मारिया था तदही10 प्रोळ बारै लोही आयो तो । सु मैहराज ऊजळ खत्री हुतो । इण जांगळू प्रादरी नहीं; नै मांणकरावरा बेटा जांगळू वसिया; नै मैहराज गोपाळदेरो पीहलाप, जोगीरा तळावथी कोस २ ऊगवण छ, ... चूंडासरसू कोस १, तटै वसियो ; त, मैहराजरा कराया तळाव ३ छै14 । .१ महिराजांणो तळाव। २ लूंभासर तळाव । ... हरभूसर तळाव। केहेक15 दिन सांखलो मैहराज पीहलाप रह्यो । पछै नागोररै गांव भंडेल राव चंडासं मिळनै बसियो । गोगादेजी दलो जोईयो I गर्भ । 2 सो इनका चारण धरमा वीठू उसको लेकर उसके पीहर भाग गया। 3 वह विना कहीं विश्राम लिये खींवसर आया । एकण-पग=१ बिना विश्राम, २. लंगड़ा। 4 वहां मांगलियाणीने मेहराजको जन्म दिया। जिसके बाद । 6 जांगलू पर चढ़ कर गया। 7 मूंजा और ऊदाको मार करके ढाकसरीके एक कुँएमें डाल दिया। 8 बहुत रक्त बहा । 9 रक्तका प्रवाह पोलके वाहिर पाया । 10 तब भी। II था। 12 इसने जांगलूमें रहना : स्वीकार नहीं किया। 13 पूर्व दिशा । 14 वहां मेहराजके कराये हुए तीन तालाव हैं।... ___ I5 कई एक। . . . * यहां ऊदा नहीं, गोपालदे होना चाहिये । .

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