Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
View full book text
________________
३४६ ]
मुंहता नैणसीरी ख्यात इतरी पीढ़ी जांगळू सांखलारै रही। १ रांणो रायसी।
गयो । उगारै बांसला २ रांणो अणखसी।
सावै छै । ३.रांणो खींवसी।
८ पुनपाळ जांगळू धणी ।।... ४ रांणो कंवरसी । जिको है मांणकराव पुनपाळरो। सोतमें वैर में खरलां १० नापो मांणकरावरो । रजपूतांरी बेटी आंधी
जांगळू धणी । तद भारमल तोत कर पर
वलोचे जोर दवाया, णाई । सु कंवरसी हथ
तरै राव जोधा कनै"... ळेवो जोड़ियो, तरै
जोधपुर प्रायनै कंवर भारमलनूं अांखै सूझण
वीकानूं जांगळू ले जाय .. लागो । खरलांरी ठाकु- धणी कियो । सांखला राई पैहली तद छोहलै
चाकर हवा । रिणधीरसर कुंवीरोह ६ रांणो प्रांवो राजसीरो। कहीजै त हुती । पूंग
कंवरसी, खींवसी प्रांक ळसू कोस १०, विकुं
१०, तिणनूं मूंजै राजपुरथी कोस १५ ।
सीयोत धावै मारनै ५ रांणो राजसी कंवर
जांगळू लीवी। सीरो।
७ गोपाळदे वेटो हुतो. ६ करमसी हर-भगत हुवो।
तिको जोयां कनै हुतो। ६ जो।
प्रांवानूं मूंजै मारियो ७ ऊदो मूंजावत ।
तद मूंजेरै बेटो गोपा८ जैसिंघदे । जैसळमेर . .... ळदेनूं - उदै मूंजावत
___I सांखलोंकी इतनी पीढ़ी जांगलूमें रही। 2 राणा कुंवरसी, जिसको सौतके वैरके कारण खरला राजपूतोंकी भारमली नामकी एक अंधी लड़की व्याह दी गई। 3 सो कुंवरसीके :.. पाणिग्रहण करते ही भारमलीको अांखोंसे दिखने लग गया। 4 उन दिनोंमें खरलोंकी ठकुराई छोहले-रिरणधीरसरमें थी जो अब कुंवीरोह कहा जाता है । 5 करमसी हरिभक्त हुआ। 6 उसके पीछेके वंशज सावामें हैं । 7 पास। 8 जो जोईया राजपूतोंके पास था।

Page Navigation
1 ... 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377