Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३५१ हुवो'। जोगी बाळनाथ रामदे पीररै माथै हाथ दिया था । तिण ही हरभम सांखलै माथै हाथ दिया। हरभम हथियार छोड़ने इण राहमें . हुवो । पछै लोलट आय रह्यो। तठा पछै कितरेहेक दिने राव जोधाजी विखा माहै पाया। सांखलै हरभम जीमाया नै आ दवा दी-" इण मूंगां पेट माहै थकां जितरी नं घोड़ो फेरीस तितरी धरती थारा बेटा पोतरा भोगवसी । पछै राव जोधैरै धरती हाथ आई ।
पछै राव जोधै हरभमनूं बैंहगटी सांसण कर दीनी'। तिण बैंहगटीमें . हमैं ही हरभमरा पोतरा रहै छै ।
सांखला मैहराज गोपाळदेशोतरो परवार, प्रांक १२ । __ १३ हरभम पीर वडी करामातरो धणी हुवो। पीर रांमदे देहुरै गोर' ली, तरै कह्यो-'गोर १ म्हारी गोररी पाखती' सांखला हरभमरै वास्तै संवार राखो11 । आजथी दिनां ८ हरभमटी आइनै
गोर लेसी । पछै हरभू आय उठै गोर लो। ... १४ चूंडो हरभमरो। . ....१५ पूंजो । १५ कोजो। १५ बोजो। पूजारो परवार
१६ सीवो।
१७ रावत रायपाळ संमत १६३५ विखा मांहै खड़चर थको विकू कोहर करमसियोत मारियो । १८ ईसर । ..
१८ मेहाजळ । १८.ऊदो । १६ सारंग।
१६ रामदास मेहाजळोत । २० उधरण बैंहगटी।
१६ जगहथ । १७. डूंगर सिकारों।
१७ चाचो सिंवारों। १७ तोगो सिवारो। १८. नेतो ।
I वहां रामदेव पीर और हरभमके मुलाकात हुई । 2 उसने ही। 3. हरभम शस्त्रोंको त्याग कर भक्तिकी अोर प्रेरित हुआ। 4 विपत्ति । 5 सांखले हरभमने उन्हें भोजन करवाया
और दुआ दी। 6 इन मूंगोंके पेटमें रहते जितनी दूरी तक घोड़ा चला सकेगा उतनी धरती तेरे बेटे-पोते भोगेंगे। फिर राव जोधेने बहेंगटी गांव हरभमको शासनमें दिया। 8. उस . "बहेंगटीमें अब भी हरभमके पोते रहते हैं.। 9. समाधि | 10 पासमें । 11 तैयार करके रखो। ...... 12 आजसे ८ दिन बाद हरभम भी आकर समाधि लेगा।

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