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________________ ३४० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात सांखलो छोहिल राजपाळीत । तिरै वांसला रुणेचा ग्रांक ३ । ४ पालणसी छोहिलरो । पातसाह ग्रायो थो, " ५ मेहदो । तिणसूं लड़ाई हुई । पातसाह भागो । नगारा ६ हंसपाळ | ७ सोढल । वीरम | ९ चाचग ऊपर मांडवरो 3 सांखला चाचग वीरमोतरो परवार, ग्रांक ६ | १० रांगो सीहड़ चाचगोत' । निपट वड़ो रजपूत वो । तिरै पंगळी वेटी हुई | तिणरै पेट धारू ग्रानळोत वडो रजपूत हुवो' । कवित्त सीहड़ सीहड़रा वेटा नीसांण पड़ा लिया * । तिणसूं सांखला नादेत नीसांरगोत कहावै छे" । में मांमलो कियो तिण साखरो' कांणजो कोपियो, लूस, ग्रमणेर लियंतो । 1 0. 1 दुजड़ां 'हथो दुकाळ, रोस रोहिस रत्तो ॥ वाळ जाळ वोरवौ. भरम पहाड़ां भग्गो । मचकोडे मेवड़ो, वळं वधनोर विलग्गो ॥ वधनोर गांज " प्राडोवळो, तोड़े जड़ां तिलायली । सांखले रांण सुजड़ां हथै, भांजी "सीहड़ भायली ॥ ११ सालो सीहड़रो । ११ वछो सीहड़रो । ११ हंसो । ११ जंतकरण । ११ लूंणकरण । ११ रतनसी । ११ सुरजन । ११ देवराज । I जिसके पीछे वाले रुणेचा कहलाते हैं । 2 चाचगके ऊपर मांडवका वादशाह चढ़ कर आया था । 3 जिससे 1 4 नगारे और निशान खोस लिये । 5 इसलिये सांखले नादेत - नीसागेत कहलाते हैं। 6 रारणा सीहड़ चाचगका पुत्र ! 17 जिसकी कोखसे ग्रानलका : पुत्र घारू बड़ा राजपूत हुआ । 8 युद्ध । 9 उसकी मालीका | 10 कटारें । 11 बड़ा वीर । 12 नाश करके | 13 कटारें | 14 तोड़ दी ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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