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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ३३५ गया । तरै रावळ इणांनूं केई दिन जेसळमेररा गढ़ ऊपर राखिया । तिको दिखण दिस गढ़में प्रो अजेस गोहिल टोळो कहावै छै । तठा
पछै कितरैहेक दिने झै सोरठनूं गया । सेबूंजारौँ कोस ४ सीहोर गांव __छ, त जाय रह्या छ । रावळ कहाडै छै। भला रजपूत भूमिया छ । ... गांव ४०० माहै उणांरो भोमियाचारारो ग्रास लागै छै । सेपूँजो
पिण गोहिलारै छै' । पालीतांण सिवो गोहिल छ, तिको जात करण - आवै छै । तिणां कनै क्यूंही लेनै पछै सेQजै सिंघनूं चढ़ण दे छै। : विरद उणांनूं चारण भाट मारवारो दे छ ।
. ग्रासरी विगत' -- __ सोरठरै देस एक ठोड़ा सीहोर, सेāजारौँ कोस ४ छै तठे रावळ अखैराज ; धोधरै परगनै इणांरो ग्रास11 लागे ।
एक ठोड़ लाठी, गांव ३६० में ग्रास लागै । लोलियांणो, अरजियांणो धोधुकाथी कोस १७ ।
- सोरठ माहै देवके-पाटण सोमईयो महादेव वडो जोतलिंग . हुतो, तिको संमत १३०० अलावदी पातसाह जाय उपाड़ियो,13
तठ गोहिल हमीर, अरजन भींवरा बेटा काम आया, वडो नांव कियो14 | तिणां साथै वेगड़ो भील पिण काम आयो1 ।
.. I सो ये रावलके पास गये। 2 गढ़के अंदर दक्षिण दिशाका वह स्थान अब भी
गोहिल-टोला कहलाता है। 3 जिसके कितनेक दिनों बाद ये सोरठको चले गये। 4 वहां जाकर रहे हैं। 5 रावल कहलाता है। 6 चारसौ गांवोंमें उनका भूमिचारा ग्रास (कर) - लगता है। 7 शत्रुजय भी गोहिलोंके अधिकारमें है। 8 पालीताना शिवा गोहिलके अधि
- कारमें है, वह वहां जो यात्रा करनेको पाते हैं उनसे कुछ कर लेकर फिर यात्री-संघको शत्रुजय ... पर्वत पर चढ़ने देता है । 9 ( सोरठमें जाने पर भी ) चारण और भाट लोग उनको
मारुनोंका (मारवाड़ियोंका) ही विरुद देते हैं। 10 ग्रासका विवरण । II एक कर । , 12 सौराष्ट्र में देवपाटन स्थानमें सोमनाथ महादेव एक ज्योतिलिग था। 13 जिसको अला
. उद्दीन बादशाह संम्वत १३०० में जाकर उखाड़ लाया। 14 वहां पर भीमके वेटे गोहिल . हमीर और अर्जुन काम आये, बड़ा नाम किया। 15 उनके साथ में बेगड़ा भील भी काम आया। .