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मुंहता नैणसीरी ख्यात मारणो तेवड़ियो । पछै एक दिन राघवदे दरवार आवतो थो।। पहरणनूं आंगी हुती । तिणरी बांह ढीली हुती, सु आधी काढ़ी थी। तरै आय नै एक बांह रांण कुंभ पकड़ी नै एक पाखती राब रिण मल पकड़ी। नै दोनां बगलां राघवदेरै कटारी लगाई । सु राघवदे कटारी लागतां आपरी' कटारी दांतांसू काढ़ी' । तरै इणां वांह छोड़ दी । तर यो जलेवखाना नीसरियो। इणां हाथ छोड़ दिया । जांणियो कटारी सवळी लागी छै, आपै हेठो पड़सी' । नै तितरै प्रोळरै बारण' आयो । तितरै एक रजपूत झटकारी दीनी सु माथो तूट पड़ियो । सु माथो पड़ियां ही उठ दोड़ीयो । तरै सगळाई।" अळगा हुवा, तरै आपरो' माथो दुपटीसौं कड़ियांरै दोळो बांध जलेव आय नै आपरै घोड़े चढ़ियो नै आपरा घरांनूं खड़िया' । परभात हुवो तरै पड़ावल चीतोड़सूं कोस १७ छ, तठे गांव निजीक आयो । तरै कोई वैर पिणहार जिण दीयो । तरै कह्यो-'देखो कोई मांटी20 माथा विगर चढियो जाय छै ।'सु वा बैर मैले-माथे हुती । तिणरी छाया पड़ी। तरै राघवदे घोड़ासू छिटक पड़ियो22 1 उठ ५ क23 सात बैरां राघवदेरी, पड़ावलथी आय नै वळी24 ° सु राघवदे सीसोदियो पूजीजै छै । · साखरो गीत
राय-आंगण रांण : कुंभक्रन रूठ, हाथां ग्रहे हिंदुवै-राय । काढ़ी राघव भली कटारीदांतां, सरसी ऊपर25 डाय ॥१॥
1 विचार किया। 2 अंगरखी। 3 एक ओरसे । 4-अपनी 1 5 निकाली। 6 पासकी राज्य-सभा । 7 अपने आप नीचे गिर जायगा । 8 इतने में । 9 वाहिर । 10 सिर गिर जाने पर भी उठ कर दौड़ गया । || सब ही। 12 अलग । 13 अपना 14 दुपट्टेसे । 15 कमर । 16 पास । 17 अपने । 18 चलाया। 19 पनिहारिन-स्त्री । 20 मनुष्य 21 वह स्त्री रजस्वला थी। 22 गिर गया। 23 अथवा 24 पड़ावलसे आ कर सती हुई । 25 गीतका अर्थ-हिंदुपति राजा कुभकर्णने क्रोध करके . राज्य आंगनमें राघवदेवके हाथ पकड़ लिये। उस समय राघवदेवने अपने दांतोंसे अपनी कटारीको खूब निकाला, जो उसके ऊपर दाव = आक्रमण करनेवालोंसे एक श्रेष्ठ (पराक्रम) की वात थी।. .:. .