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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २५१ नीसरियो;' तरै ग्वारै मनवार कीवी, तरै मांणकराव कह्यो-"क्यूं रांधो अन्न हाजर हुवै तो ल्यावो" सु ग्वारांरै चावळ मूंगांरी खीचड़ी तयार थी सु वाटका एकण मांहै घात ल्याया। मांणकराव चढ़िये हीज खाधी । प्राथणरो बाप तीरै आयो तरै बाप मांणकरावयूँ कह्यो"कितरीहेक धरती फिर आयो' ?" तरै इण वात मांड कही । तरै बाप पूछियो-“कठेही गढ़नूं ठौड़ विचारी छै' ?" तरै इण भदाणरी ठौड़ दाखवी' । तरै बाप कह्यो-"तें सारा दिनमें कठे ही क्यूं खाधो ?' तरै मांणकराव ग्वारांरी खीचड़ी खाधी हुती तिकी वात कही-"जु जायल कनै हूँ आय नीसरियो, तठे ग्वार पड़िया था, त्यांनूं म्हैं कह्यो -"क्यूं रांधो धांन हुवै तो ल्यावो । तरै ग्वारां चावळ मूंगारी खीचड़ी धोबो भरनै15 ऊंठ चढ़िया होज दीवी, सु मैं खाधी'6" तरै बाप कह्यो-“यूं तैं खीचड़ी खाधी तो थांहरी नख खीचीरी दी नै वा धरती दी," नै कह्यो-"बेऊ ठोड़ां भदाणे, जाहल कोट कराय, बेऊ राजथांन कर18।" तरै मांणकराव बेऊ ठोड़ा कोट कराया नै बेऊ राजथांन किया। ____ मांणकराव, अजैराव, चंद्रराव, लखणराव, गोयंदराव, सांगमराव, प्रथीराजरो सांवत गूंदळराव ।
राजा प्रथीराज चहुवांणरी बैर19 सुहवदे जोईयांणी रूसणे० वापरै घरै हुती। तिणनूं खाटूरी भाखरी उणरै बाप माळियो 4
__ I भूखा-थका उधर होकर निकला। 2 तब ग्वारियोंने मनुहार की। 3 कोई रंधा हुया अन्न तैयार हो तो ले आओ। 4 सो एक कटोरेमें डाल कर लाये। 5 मारणकरावने ऊंट पर चढ़े हुए ही खाई। 6 संध्याको बापके पास आया। 7 कितनी धरतीमें फिर पाया। 8 तव इसने सब हकीकत कही। 9 कहीं गढ़ बनवानेकी जगहका भी सोचा है ? 10 तब इसने भदाणकी जगह दिखाई ( जिक्र किया )। II तैने दिन भरमें कहीं कुछ खाया ? 12 तब मारणकरावने ग्वारियोंकी खिचड़ी खाई थी वह बात कही। 13 वहां ग्वारिये डेरे डाले पड़े थे। 14 उनको मैंने कहा। 15 दोनों हाथोंके सम्पुटको भर करके । 16 ऊँट पर
चढ़े हुएको ही दी और मैंने खा ली। 17 इस प्रकार तूने खिचड़ी खायी तो तुम्हारी शाखा ... 'खीची' प्रदान की गई और वह धरती भी तुम्हें दे दी गई। 18 भदाणे और जायल दोनों
स्थानोंमें कोट वनवा कर दोनोंको राजधानी बना लो। 19 पत्नी। 20 नाराजीमें । 21 उसको। 22 पहाड़ी। 23 उसके । 24 महल ।