Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ २६७ १४ राजा उदैकरणरो नरसिंघ अांबेर टीको। तिणरा राजावत ___ कछवाहा । १५ राजा वणवीर नरसिंघरो। वांसला' वणवीर-पोता कहीजै । १६ राजा उद्धरण । १७ राजा चंद्रसेण उद्धरणरो । अांबेर टीकाइत । १८ राजा प्रथीराज चंद्रसेणरो । १६ राजा भारमल, प्रथीराजरो । अांबेर वडो रजपूत हुवो । २० राजा भगवानदास भारमलरो । अांबेर टीकाई । वडो ठाकुर हुवो । अकबर पातसाह घणी मया करी। राव मालदेजी
बेटी दुरगावती बाई परणाई थी। २१ राजा मानसिंघ महाराजा हुवो। पूरबरो सूबो अकबर पातसाह
दियो थो। राव चंद्रसेणरी बेटी आसकंवर बाई परणाई थी। संमत १६०७ पोह वद १३रो जनम । संमत १६७१ दखणमें
काळ प्राप्त हुवो। . २२ कंवर जगतसिंघ मानसिंघरो। अकबर पातसाह नागोर दियो
थो। रांणी कनकावती बाई राव रतनसी कनकावतीरी बेटीरो
बेटो, कंवर थको हीज मुंवो। २३ राजो महासिंघ जगतसिंघरो । घोसा पटै हुतो । मोटा
राजाजीरी बेटी रुखमावती बाई परणाई हुती, सु साथै
बळी' । संमत १६७३ दिखण बालापुर थांणै । २४ राजा जैसिंघजी, भावसिंघ पछै अांबेर पायो । संमत १६७८,
सीसोदिया महाराणा उदैसिंघरो दोहितो । संमत १६६८रा असाढ़ वद रो जनम । संमत १६७६ राजा श्री सूरसिंघजीरी बेटी मेघावती बाई परणाई हुती ।
___I पीछे वाले वंशज । 2 टीकायत, गद्दीका अधिकारी । 3 कृपा। 4 कुमारावस्थामें ही मर गया। 5 था । 6 थी। 7 महासिंहके मरने पर साथमें जल कर सती हुई। 8 संम्वत् १६७३में दक्षिणमें वालापुरके थानेमें। 9 सम्वत् १६७६ में राजा सूरसिंहकी वेटी मृगावती बाई व्याही थी।

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