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मुंहता नैणसीरी व्यात २० चत्रभुज ।
२१ राव कल्याणमल फनै- . २१ मनोहरदास ।
सिंघरो। राजा सिंघर १८ पूरणमल दासारो।
बेटां बरोबर यो । कांमां . . .. १८ रायमल दासारो।
पहाड़ीरो सूबो यो । १६ रामचंद्र ।
२२ रिणसिंध। २० वळभद्र।
२२ पाणंदसिंघ । २१ गोविंददास बळभद्रोत । २२ अजबसिंघ।
ईसरदास कुंपावतरो १४ बालोजी राजा उदैकरदोहितो । रावळे वास
णरो। जिणरी अोलादरा थो। रेवाड़ीरा गांव
सेखावत-कछवाहा पटै ।
कहीजे । सेखावतारो २२ जोगीदास ।
उतन अमरसर वैसगो। १८ कपूरचंद दासारो।
१५ मोकल बालरो, जिणनूं | १६ रूपसो।
पीर वहांन चिसती १६ वैरसी ।
निवाजस की, जिणरो . १७ लालो नरूरो। लालो
तकियो मनोहरपुर गांव राव कहांणो।
ताळे छै, डूंगरी ऊपर। १८ ऊदो लालारो।
१६ सेखो मोकलरो, जिससूं १६ लाडखांन ऊदारो।
सेखावत कहांणा । ... २० फतेसिंघ लाडखांनरो ।
अमरसर सेखैजी वसायो। तिणनूं राजा जैसिंघ
अमरसर अमरै अहीररी बेटो कर गोद लियो
ढांगी थी, जात थो ।
खासोदो। सिखरगढ़
I वलभद्रका वेटा गोविंददास, ईश्वरदास कंपावतका दोहिता जो जोधपुर महाराजाके यहां नौकर था और जिसे रेवाड़ीके गांव पट्टेमें मिले हुए थे। 2 लाला राव कहलाया। 3 लाडखानके वेटे फतहसिंहको वेटा मान कर गोद लिया था। 4 राजा जयसिंह इसे अपने वेटोंके वरावर मानता था । कामा पहाडीका सूबेदार था। 5 उदयकर्णका पुत्र वालोजी जिसकी औलाद वाले शेखावत-कछवाहा कहे जाते हैं। शेखावतोंका निवासस्थान अमरसर । 6 मोकल वालेका पुत्र जिस पर शेख पीर बुरहान चिश्तीने कृपा की (और पुत्र दिया) जिसका तकिया मनोहरपुरके निकट पहाड़ी पर बना हुआ है।