Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 334
________________ ३२६ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात - नवाबनूं कही लड़ाईनूं चढ़ पावै । पछै ग्रायने नवाबनूं कही। लेजायने दिखणियांसू सेज सी लड़ाई कराई नै पाप पहलाहीज उपाइने फोज माहै नांखिया सु काम प्रायो। गीत रामचंद करमसीरारो असमर' भुज धूंण वधै लग" अंबर । खत्रियां-गुर" जूझार खरै । रूठे दिखण तणै' सिर रांमै । हमल हलाया सिखर-हरै ॥१ आठवाट कर थाट एकठा । भुज पतसाही भार भले । अहमद नगर वीद घर ऊपर । कछवाहै चाळवी11 कले ॥२ २१ धरमचंद । मीच मुंवो। २२ गोपीनाथ। १८ तेजसी रायमलरो। २२ रतन । १६ सकतसिंघ तेजसीरो। २२ सूरसिंघ । १६ मानसिंघ तेजसीरो। २२ किसोरसिंघ। २० नारणदास मानसिंघरो। २१ दीपचंद नारणदासरो। २१ वळभद्र नारणदासोत । २१ नरसिंघदास मानसिंघरो। दिखण पातसाहजीरै १६ रांमसिंघ तेजसीरो। काम आयो । खान मोटा राजाजीरो सुसरो जिहारी वेढ़ छत्रसिंघ जैतसिंघजीरो नानो ३ ।' .. भेळो । १८ जगमाल रायमलरो। २२ कनीदास । १० भींव जगमालरो। I मामूली। 2 और उसने पहले अपने घोड़ोंको उठा कर सेनामें डाल दिया। 3 करमसीके बेटे रामचंदका गीत । 4 तलवार। 5 तक। 6 क्षत्रिय-श्रेष्ठ। 7 के । 8 शिखरके वंशजने । 9 संहार, नाश । 10 समूह । II शस्त्र चलाया। 12 नारायणदासका ... वेटा वलभद्र, दक्षिणमें खानजहांकी लड़ाईमें छत्रसिंहके साथ वादशाहके काम आया ।

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